मैं खुद मुख्यमंत्री हूं, तब भी सभी फैसले मेरी मर्जी से नहीं हो सकते? छोटा अखबार। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 4 दिन बाद आज दिल्ली से जयपुर लौटे हैं विशेष विमान से। दिल्ली में टिकट वितरण की खीचड़ी पकाके, अपने लवाजमें के साथ। और वे एयरपोर्ट पर ही संचार माध्यमों के जरीये जनता को संदेश देते है कि मैं खुद मुख्यमंत्री हूं, तब भी सभी फैसले मेरी मर्जी से नहीं हो सकते? तो सवाल ये है कि आखिर जनता और प्रदेश के सभी फैसले किस की मर्जी से होगें। यदि फैसलों में आपकी मर्जी नहीं चलती है, तो आप लवाजमें के साथ दिल्ली क्यों जाते हो। ये सवाल मेरा नहीं प्रदेश की 12 करोड़ जनता का है। ये सवाल हर वो मतदाता का है जो आपकी पार्टी के उम्मीदवार को विधानसभा 2023 में मतदान करेगा। आपने तो तपाक से कह दिया कि सभी फैसले मेरी मर्जी से नहीं हो सकते? जब फैसले लेने की घड़ी आयेगी तो, आप तो जनता को कह देंगे कि मैंने तो चुनाव से पहले ही कह दिया था कि सभी फैसले मेरी मर्जी से नहीं हो सकते? तो फिर बात वहीं आयेगी की इसकी गारंटी कौन लेगा। क्योंकि आप हि कहते हो कि गारंटियों की चर्चा देशभर में है। आपने ने तो संचार माध्यमों के जरीये कह दि