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आज उठेगें देव

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आज उठेगें देव देवोत्थान एकादशी कार्तिक, शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं। दीपावली के बाद आने वाली एकादशी को ही देवोत्थान एकादशी अथवा देवउठान एकादशी या 'प्रबोधिनी एकादशी' कहा जाता है. आषाढ़, शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि को देव शयन करते हैं और इस कार्तिक, शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं। इसीलिए इसे देव-उठनी एकादशी कहा जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु जो क्षीरसागर में सोए हुए थे, चार माह उपरान्त जागे थे। विष्णु जी के शयन काल के चार मासों में विवाहादि मांगलिक कार्यों का आयोजन करना निषेध है। हरि के जागने के बाद ही इस एकादशी से सभी शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू किए जाते हैं। ये है मान्यता कहा जाता है कि चातुर्मास के दिनों में एक ही जगह रुकना ज़रूरी है, जैसा कि साधु संन्यासी इन दिनों किसी एक नगर या बस्ती में ठहरकर धर्म प्रचार का काम करते हैं। देवोत्थान एकादशी को यह चातुर्मास पूरा होता है और पौराणिक आख्यान के अनुसार इस दिन देवता भी जाग उठते हैं। माना जाता है कि देवशयनी एकादशी के दिन सभी देवता और उनके अधिपति विष्णु सो जाते हैं। फिर चार माह बाद देवोत्थान एकादशी को जागते हैं।...

वरिष्ठ अध्यापक नियुक्ति प्रक्रिया समाप्त

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वरिष्ठ अध्यापक नियुक्ति प्रक्रिया समाप्त छोटा अखबार। संस्कृत शिक्षा राजस्थान द्वारा वरिष्ठ अध्यापक (संस्कृत शिक्षा) प्रतियोगी परीक्षा-2018 में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान करने के बाद जिन अभ्यर्थियों ने निर्धारित तिथि तक कार्यारम्भ नहीं किया है उनकी नियुक्ति प्रक्रिया समाप्त कर दी गई है। संस्कृत शिक्षा राजस्थान के निदेशक डॉ.दीरघराम रामस्नेही ने बताया कि राजस्थान लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित वरिष्ठ अध्यापक (संस्कृत शिक्षा) प्रतियोगी परीक्षा 2018 के विभिन्न विषयों (संस्कृत, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित एवं सामाजिक विज्ञान) में चयनित अभ्यर्थियों की प्राप्त अभिस्तावना के आधार पर दस्तावेजों के सत्यापन उपरान्त निदेशालय के आदेश दिनांक 10 अक्टूबर 2020(संस्कृत), 19 अक्टूबर 2020 (गणित) और 20 अक्टूबर 2020 (विज्ञान, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान) द्वारा नियुक्ति प्रदान की गई थी। रामस्नेही ने बताया कि नियुक्ति आदेशों में अंकित कार्यारम्भ हेतु निर्धारित तिथि तक कार्यारम्भ नहीं करने वाले अभ्यर्थियों के सम्बन्ध में नियुक्ति प्रक्रिया समाप्त कर दी गई है।  

राहुल गांधी में अनफॉर्म्ड क्वालिटी है — बराक ओबामा

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राहुल गांधी में अनफॉर्म्ड क्वालिटी है — बराक ओबामा छोटा अखबार। न्यूयॉर्क टाइम्स ने बराक ओबामा की नई किताब 'ए प्रॉमिस लैंड'की समीक्षा कि है। न्यूयॉर्क टाइम्स की समीक्षा के अनुसार ओबामा ने अपने कार्यकाल के संस्मरणों पर लिखी किताब में कई देशों का जिक्र किया है। ओबामा की इस किताब के चर्चे विश्व स्तर पर हो रहे है। भारत के लिए खास बात यह कि किताब में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का भी ज़िक्र किया है। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी किताब 'ए प्रॉमिस लैंड' में राहुल गांधी के लिए लिखा है कि "राहुल गांधी में एक नर्वस, अनफॉर्म्ड क्वालिटी है। स्कुल का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह कोई छात्र हों जिसने अपना गृह कार्य पूरा किया है और शिक्षक को प्रभावित करने के लिए उत्सुक हो लेकिन विषय में महारत हासिल नहीं करना चाहता हो। सब्जेक्ट का मास्टर होने के मामले में योग्यता या जुनून की कमी है। यही राहुल की कमजोरी है। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन के लिए लिखा है कि उनमें एक तरह की इम्प्रेसिव इंट्रीग्रीटी है। 768 पन्नों की किताब में ओबामा ने अपन...

चारदीवारी के भीतर एससी—एसटी के व्यक्ति को डराना अपराध नहीं — सुप्रीम कोर्ट

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चारदीवारी के भीतर एससी—एसटी के व्यक्ति को डराना अपराध नहीं — सुप्रीम कोर्ट छोटा अखबार। "एफआईआर के अनुसार, सूचना देने वाले को को गाली देने का आरोप, उसकी इमारत की चारदीवारी के भीतर का है। ये ऐसा मामला नहीं है कि घटना के समय आम लोग (केवल रिश्तेदार या दोस्त नहीं) घर में मौजूद थे। इसलिए, मूल अवयव, जिसे "सार्वजनिक रूप से दिखने वाले किसी स्थान पर" कहा गया है, वह शामिल नहीं। आरोप-पत्र में संलग्न गवाहों की सूची में कुछ गवाहों के नाम हैं, लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि वे इमारत की चारदीवारी के भीतर मौजूद थे। अपराध का आरोप इमारत की चारदीवारी के भीतर लगा है। इसलिए, स्वर्ण सिंह में इस कोर्ट के फैसले के मद्देनजर, इसे सार्वजनिक रूप से दिखने वाला स्‍थान नहीं कहा जा सकता है, जैसा कि किसी एफआईआर और/ या आरोप-पत्र में कहा गया है कि इमारत की चारदीवारी के भीतर कोई मौजूद नहीं था।" सुप्रीम कोर्ट के अनुसार किसी घर की चारदीवारी के भीतर अनुसूचित जाति और जनजाति के व्यक्ति का अपमान या डराना अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत अपराध नहीं है। इस मामले में दर्...

स्थांनातरण व पदस्थापन पर प्रतिबंध  -मुख्य सचिव

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स्थांनातरण व पदस्थापन पर प्रतिबंध  -मुख्य सचिव छोटा अखबार। मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने अदेश जारी कर राज्य सरकार के समस्त अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव, शासन सचिव एवं विभागाध्यक्षों को निर्देश दिये है कि स्थानांतरण प्रतिबंध अवधि में अधिकारियों अथवा कर्मचारियों के स्थानांतरण अथवा पदस्थापन के आदेश जारी करने से पूर्व प्रशासनिक सुधार विभाग से इस सबंधं में अनुमोदन आवश्यक रूप से करवाया जाना सुनिश्चित करें। मुख्य सचिव के अनुसार कुछ विभाग, अधिकारियों व कर्मचारियों को एपीओ कर इच्छित स्थानों पर स्थानांतरण व पदस्थापन के लिए प्रस्ताव शिथिलन के क्रम में प्रशासनिक सुधार विभाग को भिजवा देते है। यह व्यवस्था स्थानांतरण प्रतिबंध की मूल भावना के विपरीत है। इस संबंध में 30 जुलाई 2020 को परिपत्र जारी कर समुचित रूप से निर्देशित किया गया था, यदि फिर भी किसी विभाग से उपरोक्तानुसार एपीओ कर प्रस्ताव अनुमोदनार्थ प्राप्त होंगे, तो उसको अत्यंत गंभीरता से लिया जायेगा। मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि राजकीय अधिकारियों व कर्मचारियों के स्थानांतरण व पदस्थापन पर प्रतिबंध को प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा 15 सितम्बर...

संविधान के अनुच्छेद 254 (2) का प्रयोग करते हुए, कृषक विधेयक ध्वनिमत से पारित

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संविधान के अनुच्छेद 254 (2) का प्रयोग करते हुए, कृषक विधेयक ध्वनिमत से पारित छोटा अखबार। राजस्थान विधानसभा ने सोमवार को कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2020 तथा कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2020, ध्वनिमत से पारित कर दिया है। विधि मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने विधेयक को चर्चा के लिए सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर सदन में हुई चर्चा के बाद विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों को बताया। मंत्री ने बताया कि भारत का अन्नदाता अपनी जमीन को पुत्र से भी ज्यादा प्रेम करता है। किसान के खिलाफ  केन्द्र सरकार के बनाए कृषि कानूनों से पूरा देश 2014 के भू-अधिग्रहण अधिनियम की भांति आंदोलित है। कोविड महामारी भी जिस किसान की जीडीपी को नहीं गिरा पाई उसे ऎसे कानून गिराने पर तुले हैं। बडे पूंजीपतियों के आने से छोटे व फुटकर व्यापारी, दुकानदार समाप्त हो जायेंगे जो कि विपरीत प्रभावकारी साबित होगा। ये कानून उद्योगपतियों को कृषि क्षेत्र में प्रवेश कराने का षड़यंत्र है जो किसानों को जमीन व जिंदगी बेचने पर मजबूर करें...

किसान हित में सिविल प्रक्रिया संहिता विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित

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किसान हित में सिविल प्रक्रिया संहिता विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित छोटा अखबार। राजस्थान विधानसभा में सोमवार को राजस्थान महामारी (संशोधन) विधेयक, 2020, और सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित कर दिए। सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक,2020 को लेकर विधि मंत्री धारीवाल ने बताया कि सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908  का केन्द्रीय अधिनियम सं. 5) की विद्यमान धारा 60 ऎसी सम्पत्ति, जो कि डिक्री के निष्पादन में कुर्क और विक्रय की जा सकेगी, के लिए उपबंध करती है । इस धारा का परंतुक कतिपय विशिष्ट वस्तुओं, जिन्हें कुर्क या विक्रय नहीं किया जा सकेेगा, के लिए उपबंध करता है।  राज्य के कृषकों के हितों और उनकी आजीविका का संरक्षण करने के लिए यह विनिश्चय किया गया है कि यदि निर्णीत-ऋणी कृषक है तो उसकी पांच एकड़ तक की कृषि भूमि को कुर्क या उसका विक्रय नहीं किया जा सकेगा। तद्नुसार सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 60 को संशोधित कर सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2020  ध्वनिमत से पारित किया गया।  इससे पहले सदन ने विधेयक को जन...