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चारदीवारी के भीतर एससी—एसटी के व्यक्ति को डराना अपराध नहीं — सुप्रीम कोर्ट

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चारदीवारी के भीतर एससी—एसटी के व्यक्ति को डराना अपराध नहीं — सुप्रीम कोर्ट छोटा अखबार। "एफआईआर के अनुसार, सूचना देने वाले को को गाली देने का आरोप, उसकी इमारत की चारदीवारी के भीतर का है। ये ऐसा मामला नहीं है कि घटना के समय आम लोग (केवल रिश्तेदार या दोस्त नहीं) घर में मौजूद थे। इसलिए, मूल अवयव, जिसे "सार्वजनिक रूप से दिखने वाले किसी स्थान पर" कहा गया है, वह शामिल नहीं। आरोप-पत्र में संलग्न गवाहों की सूची में कुछ गवाहों के नाम हैं, लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि वे इमारत की चारदीवारी के भीतर मौजूद थे। अपराध का आरोप इमारत की चारदीवारी के भीतर लगा है। इसलिए, स्वर्ण सिंह में इस कोर्ट के फैसले के मद्देनजर, इसे सार्वजनिक रूप से दिखने वाला स्‍थान नहीं कहा जा सकता है, जैसा कि किसी एफआईआर और/ या आरोप-पत्र में कहा गया है कि इमारत की चारदीवारी के भीतर कोई मौजूद नहीं था।" सुप्रीम कोर्ट के अनुसार किसी घर की चारदीवारी के भीतर अनुसूचित जाति और जनजाति के व्यक्ति का अपमान या डराना अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत अपराध नहीं है। इस मामले में दर्...

स्थांनातरण व पदस्थापन पर प्रतिबंध  -मुख्य सचिव

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स्थांनातरण व पदस्थापन पर प्रतिबंध  -मुख्य सचिव छोटा अखबार। मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने अदेश जारी कर राज्य सरकार के समस्त अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव, शासन सचिव एवं विभागाध्यक्षों को निर्देश दिये है कि स्थानांतरण प्रतिबंध अवधि में अधिकारियों अथवा कर्मचारियों के स्थानांतरण अथवा पदस्थापन के आदेश जारी करने से पूर्व प्रशासनिक सुधार विभाग से इस सबंधं में अनुमोदन आवश्यक रूप से करवाया जाना सुनिश्चित करें। मुख्य सचिव के अनुसार कुछ विभाग, अधिकारियों व कर्मचारियों को एपीओ कर इच्छित स्थानों पर स्थानांतरण व पदस्थापन के लिए प्रस्ताव शिथिलन के क्रम में प्रशासनिक सुधार विभाग को भिजवा देते है। यह व्यवस्था स्थानांतरण प्रतिबंध की मूल भावना के विपरीत है। इस संबंध में 30 जुलाई 2020 को परिपत्र जारी कर समुचित रूप से निर्देशित किया गया था, यदि फिर भी किसी विभाग से उपरोक्तानुसार एपीओ कर प्रस्ताव अनुमोदनार्थ प्राप्त होंगे, तो उसको अत्यंत गंभीरता से लिया जायेगा। मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि राजकीय अधिकारियों व कर्मचारियों के स्थानांतरण व पदस्थापन पर प्रतिबंध को प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा 15 सितम्बर...

संविधान के अनुच्छेद 254 (2) का प्रयोग करते हुए, कृषक विधेयक ध्वनिमत से पारित

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संविधान के अनुच्छेद 254 (2) का प्रयोग करते हुए, कृषक विधेयक ध्वनिमत से पारित छोटा अखबार। राजस्थान विधानसभा ने सोमवार को कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2020 तथा कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2020, ध्वनिमत से पारित कर दिया है। विधि मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने विधेयक को चर्चा के लिए सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर सदन में हुई चर्चा के बाद विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों को बताया। मंत्री ने बताया कि भारत का अन्नदाता अपनी जमीन को पुत्र से भी ज्यादा प्रेम करता है। किसान के खिलाफ  केन्द्र सरकार के बनाए कृषि कानूनों से पूरा देश 2014 के भू-अधिग्रहण अधिनियम की भांति आंदोलित है। कोविड महामारी भी जिस किसान की जीडीपी को नहीं गिरा पाई उसे ऎसे कानून गिराने पर तुले हैं। बडे पूंजीपतियों के आने से छोटे व फुटकर व्यापारी, दुकानदार समाप्त हो जायेंगे जो कि विपरीत प्रभावकारी साबित होगा। ये कानून उद्योगपतियों को कृषि क्षेत्र में प्रवेश कराने का षड़यंत्र है जो किसानों को जमीन व जिंदगी बेचने पर मजबूर करें...

किसान हित में सिविल प्रक्रिया संहिता विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित

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किसान हित में सिविल प्रक्रिया संहिता विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित छोटा अखबार। राजस्थान विधानसभा में सोमवार को राजस्थान महामारी (संशोधन) विधेयक, 2020, और सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित कर दिए। सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक,2020 को लेकर विधि मंत्री धारीवाल ने बताया कि सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908  का केन्द्रीय अधिनियम सं. 5) की विद्यमान धारा 60 ऎसी सम्पत्ति, जो कि डिक्री के निष्पादन में कुर्क और विक्रय की जा सकेगी, के लिए उपबंध करती है । इस धारा का परंतुक कतिपय विशिष्ट वस्तुओं, जिन्हें कुर्क या विक्रय नहीं किया जा सकेेगा, के लिए उपबंध करता है।  राज्य के कृषकों के हितों और उनकी आजीविका का संरक्षण करने के लिए यह विनिश्चय किया गया है कि यदि निर्णीत-ऋणी कृषक है तो उसकी पांच एकड़ तक की कृषि भूमि को कुर्क या उसका विक्रय नहीं किया जा सकेगा। तद्नुसार सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 60 को संशोधित कर सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2020  ध्वनिमत से पारित किया गया।  इससे पहले सदन ने विधेयक को जन...

सामाजिक समारोह में 250 लोगों के लिये मिल सकती है छूट

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सामाजिक समारोह में 250 लोगों के लिये मिल सकती है छूट छोटा अखबार। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रमुख शासन सचिव गृह अभय कुमार के साथ अनलॉक-6 की गाइडलाइन पर चर्चा की। चर्चा के दौरान प्रमुख शासन सचिव ने बताया कि प्रदेश में स्कूल-कॉलेज सहित शिक्षण संस्थान एवं कोचिंग सेन्टर्स 16 नवम्बर तक नियमित शैक्षणिक गतिविधियों के लिए बन्द रहेंगे। इसके पश्चात पुनः समीक्षा कर उनके सम्बन्ध में निर्णय लिया जाएगा। स्वीमिंग पूल, सिनेमा हॉल, थियेटर, मल्टीप्लेक्स, एन्टरटेनमेन्ट पार्क आदि पूर्व के आदेश के अनुरूप 30 नवम्बर तक बंद रहेंगे। विवाह समारोह में अतिथियों की अधिकतम सीमा 100 रहेगी। अन्तिम संस्कार में 20 व्यक्तियों की सीमा पूर्ववत लागू रहेगी।साथ ही, खुले स्थानों पर जिला कलेक्टर की अनुमति से होने वाले सामाजिक एवं राजनीतिक समारोहों में 2 गज की दूरी बनाए रखकर अधिकतम 250 लोगों तक को ही अनुमति दी जा सकेगी। बन्द हॉल में हॉल की क्षमता के 50 प्रतिशत के साथ अधिकतम 200 लोगों तक अनुमत हो सकेंगे। इन कार्यक्रमों में मास्क पहनने, सोशल डिस्टेसिंग रखने आदि की पालना जरूरी होगी।

इस बार दीपावली पर नहीं चलेगे पटाखे

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इस बार दीपावली पर नहीं चलेगे पटाखे छोटा अखबार। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पटाखों से निकलने वाले विषैले धुएं से कोविड-19 संक्रमित रोगियों एवं आमजन के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्रदेश में पटाखों की बिक्री एवं आतिशबाजी पर रोक लगाने और बिना फिटनेस के धुआं उगलने वाले वाहनों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। गहलोेत ने कहा कि आतिशबाजी से निकलने वाले धुएं के कारण कोविड मरीजों के साथ ही हृदय एवं श्वास रोगियों को भी तकलीफ का सामना करना पड़ता है। ऎसे में, दीवाली पर लोग आतिशबाजी से बचें। उन्होंने पटाखों के विक्रय के अस्थायी लाईसेन्स पर रोक लगाने के निर्देश दिए और कहा कि शादी एवं अन्य समारोह में भी आतिशबाजी को रोका जाए।  वहीं गहलोत ने वाहन चालकों से अपील की है कि वे लालबत्ती होने पर वाहनों के इंजन को बंद कर दें। साथ ही, मौहल्लों में कचरे को न जलाएं। ऎसे छोटे, किन्तु महत्वपूर्ण उपाय अपनाकर हम सभी पर्यावरण प्रदूषण रोकने और प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों में सहयोग कर सकते हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रदूषण मानकों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालको...

सहकारी बैंकों पर राज्य सरकार का नहीं रहेगा नियंत्रण, मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

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सहकारी बैंकों पर राज्य सरकार का नहीं रहेगा नियंत्रण, मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र छोटा अखबार। मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा कि राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2001 के विभिन्न प्रावधानों में समिति के पदाधिकारियों द्वारा निर्धारित कर्तव्य एवं मापदण्ड में किसी प्रकार की त्रुटि करने पर संचालक मण्डल को भंग करने का अधिकार रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां में निहित है। सहकारी बैंकों में वित्तीय अनियमितता पाये जाने पर आरबीआई की अनुशंषा पर रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां द्वारा संचालक मण्डल को भंग करने के प्रावधान हैं। संशोधन के बाद ये समस्त अधिकार आरबीआई को दे दिए गए हैं। परिवर्तित व्यवस्था से सहकारी बैंकों पर राज्य सरकार के सहकारी विभाग का प्रभावी नियंत्रण नहीं रह पाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर बैंकिग रेगुलेशन (बी.आर.) एक्ट के कुछ प्रावधानों में किये गए संशोधनों को राज्य के सहकारी बैंकों एवं सहकारिता की मूल भावना को विपरीत रूप से प्रभावित करने वाला बताते हुए इन पर पुनर्विचार करने और पूर्व की व्यवस्था बहाल करने का आग्रह किया है।  गहलोत ने पत्र ...