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कांग्रेस विधायक ने मुख्यमंत्री से की शराब दुकान खोलने की मांग

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कांग्रेस विधायक ने मुख्यमंत्री से की शराब दुकान खोलने की मांग छोटा अखबार। कोविड—19 महामारी में आर्थिक संकट को गति देने के लिये कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने सीएम अशोक गहलोत को एक पत्र लिखा है। विधायक ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रदेश में शराब की दुकाने खोली जाए। जिससे राज्य में लोगों को रोजगार मिलेगा और सरकार को आय भी होगी। पत्र में यह भी लिखा है कि शराब बदनाम हैं अत: केंद्र सरकार इसकी बिक्री की छूट प्रदेश में कभी भी नहीं देगी। शराब नहीं मिलने से अवैध धंधा पनप रहा है। इसके कारण सरकार को जहां राजस्‍व की हानि हो रही है, वहीं पीने वालों के स्‍वास्‍थ्‍य को खतरा है। पत्र में खतरों का भी उल्लेख किया है। उन्‍होंने पत्र में ये भी लिखा है कि जब कोरोना वायरस को अल्‍कोहल से खत्‍म किया जा सकता है तो अल्‍कोल को पीने से निश्चित रूप से गले से वायरस को हटाया जा सकेगा। संभव है सरकार ने लक्ष्य पूरा करने के लिये एक्‍साइज ड्यूटी बढ़ाई है, ऐसे में अच्‍छा यह होता कि सरकार शराब की दुकानें खोल दे। इससे शराब पीने वालों को शराब मिलेगी और सरकार को राजस्‍व।

पीएम के साथ मुख्यमंत्रियों की वीसी में निर्णय, देश में जारी रहेगा लॉकडाउन

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पीएम के साथ मुख्यमंत्रियों की वीसी में निर्णय, देश में जारी रहेगा लॉकडाउन छोटा अखबार। महामारी के हालातों पर मुख्यमंत्रियों के साथ हुई चर्चानुसार लॉकडाउन पर अंतिम निर्णय इस सप्ताह के अंत तक लिया जायेगा। प्रधानमंत्री के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्रियों ने अपनी बात रखने वाले नौ मुख्यमंत्रियों में से पांच ने तीन मई के बाद भी लॉकडाउन को बढ़ाने का समर्थन किया। प्रधानमंत्री की मुख्यमंत्रियों के साथ हुई तीन घंटे की वीसी बैठक में मिले संकेतों के अनुसार देश में ग्रीन जोन के कुछ जिलों में निजी वाहनों की आवाजाही की अनुमति दी जा सकती है। लेकिन रेलगाड़ियों और हवाई सेवाओं को शुरू करने की अभी कोई संभावना नहीं है। बैठक से जुड़े समाचार सूत्रों के अनुसार इस बात की संभावना है कि 15 मई के आस पास कुछ स्थानों पर रेल और हवाई सेवा बहाल की जा सकती है। लेकिन यह कोविड 19 महामारी की स्थिति पर निर्भर करेगा। सूत्रो का यह भी कहना है कि स्कूल, कॉलेज, शॉपिंग मॉल, धार्मिक स्थल और सार्वजनिक परिवहन पर रोक आगे भी जारी रहने की संभावना है। तीन मई के बाद भी सार्वजनिक और सामाजिक कार्यक्रम में लोगों के एकत्र होने

अहमदाबाद के बाद अब आगरा में वुहान जैसा संकट

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अहमदाबाद के बाद अब आगरा में वुहान जैसा संकट छोटा अखबार। मैं बहुत दुखी मन से आप को पत्र लिख रहा हूं कि मेरा आगरा अत्यधिक संकट के दौर से गुजर रहा है। आगरा को बचाने के लिए कड़े निर्णय लेने की आवश्यकता है। स्थिति अत्यधिक गंभीर हो चुकी है। इसलिए मैं आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रहा हूं कि मेरे आगरा को बचा लीजिए, बचा लीजिये। आगरा, देश का वुहान बन सकता है। स्थानीय प्रशासन नाकारा साबित हुआ है। हॉट स्पाट एरिया में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटरों में कई-कई दिनों तक जांच नहीं हो पा रही। न ही मरीजों के लिए भोजन पानी का उचित प्रबंध हो पा रहा। स्थिति विस्फोटक है। देश में कोविड 19 के कहर से घबरा कर पहले अहमदाबाद ने बचने के लिए गुहार की और अब विश्वविख्यात आगरा ने शहर में वुहान जैसी भयानक स्थिति की चेतावनी जारी करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री को तुरंत कड़े कदम उठाने की गुहार की है। सोशल मीडिया और समाचार सूत्रों के अनुसार आगरा के महापौर नवीन जैन ने कोरोना की स्थिति और जिला प्रशासन की लचर कार्रवाई से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को पत्र के माध्यम से 21 अपैल 2020 को जानकारी दी है। पह

अहमदाबाद में 30 मई तक आठ लाख हो सकती है मरीजों की संख्या —आयुक्त

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अहमदाबाद में 30 मई तक आठ लाख हो सकती है मरीजों की संख्या —आयुक्त छोटा अखबार। केंद्र सरकार के आंकड़ो के अनुसार कोविड 19 महामारी के संक्रमण फैलने से पैदा हुई स्थिति अहमदाबाद, सूरत, हैदराबाद और चेन्नई सहित उभरते हॉटस्पॉट क्षेत्रों की हालत खराब है।  सरकार ने उपरोक्त शहरों  का जायजा लेने के लिए अंतर-मंत्रालयी टीमें भी भेजी हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय का यह आकलन ऐसे समय आया है, जब अहमदाबाद नगर निगम के आयुक्त विजय नेहरा ने अपने बयान में कहा कि यदि मामलों के दुगुनी होने की मौजूदा चार दिनों की अवधि वाली दर जारी रहती है, तो गुजरात के इस शहर में कोविड-19 के मरीजों की संख्या मई के अंत तक बढ़ कर आठ लाख हो सकती है। समाचार सूत्रों के अनुसार शनिवार तक अहमदाबाद शहर में 1,638 मामले सामने आए हैं जो गुजरात में सर्वाधिक है। राज्य में संक्रमण के 2,800 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार देश के बड़े हॉटस्पॉट जिलों में उभरते हॉटस्पॉट शहरों कि स्थिति विशेष रूप से गंभीर है। जिनमें अहमदाबाद, सूरत, ठाणे, हैदराबाद और चेन्नई शामिल है। 

देश में सभी तरह की दुकानें खोलने की छूट  

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देश में सभी तरह की दुकानें खोलने की छूट   छोटा अखबार। देश में जारी लॉकडाउन में केंद्र सरकार ने ढील देते हुए पंजीकृत दुकानें खोलने का एलान किया है। नगर निगम और नगर पालिका सहित किसी भी क्षेत्र में स्थित मल्टी, सिंगल ब्रांड के शोरूम, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और मार्केट कॉम्प्लेक्स नहीं खुल सकेंगे। सरकार द्वारा पंजीकृत दुकानें जो आवासीय कॉलोनियों के पास और बाजार में स्थित दुकानें ही खुलेगी। गृहमंत्रालय के आदेशानुसार दुकानों पर 50 फीसदी कर्मचारी ही काम करेंगे। सामाजिक दूरी और सैनिटाइजेशन के नियमों का पालन करते हुए मास्क लगाना जरूरी होगा। वहीं सरकार के आदेशानुसार कोविड 19 से प्रभावित क्षेत्र जिन्हें हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित किया है कि जो कंटेनमेंट जोन हैं, वहां किसी प्रकार की राहत प्रदान नहीं की गई है। पहले भी सरकार ने एक एडवाइजरी जारी कर लोगों को राहत देते हुए राशन, दूध, सब्जी, फल और जरूरी सामान की दुकानों को खोलने के आदेश जारी किए थे। अब देश में शर्तानुसार शहरी सीमा से बाहर सभी तरह की दुकानें खोलने की अनुमति प्रदान की गई है। 

देश में आररक्षण के लिए सूची फिर से बने —सुप्रीम कोर्ट 

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देश में आररक्षण के लिए सूची फिर से बने —सुप्रीम कोर्ट  छोटा अखबार। ऐसा नहीं है आरक्षण पाने वाले वर्ग की जो सूची बनी है वह पवित्र है और उसे छेड़ा नहीं जा सकता। आरक्षण का सिद्धांत ही जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाना है। संविधान पीठ ने अपने एक आदेश में कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के भीतर ही आपस में संघर्ष है कि पात्रता के लिए योग्यता क्या होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा है कि आरक्षण का लाभ उन महानुभावों के वारिसों को नहीं मिलना चाहिए जो 70 वर्षों से आरक्षण का लाभ उठाकर धनाढ्य की श्रेणी में आ चुके हैं। 70 वर्षों से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के जरूरतमंद लोगों को आरक्षण का लाभ सही मायने में नहीं पहुंच रहा है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों की सूची फिर से बनानी चाहिए। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस विनीत शरण, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि सरकार का दायित्व है कि सूची में बदलाव करे जैसा कि इंद्रा साहनी मामले में नौ सदस्यीय पीठ ने कहा था। ऐसा न

राज्यपाल की भाव-भंगिमा असंसदीय है —ममता बनर्जी

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राज्यपाल की भाव-भंगिमा असंसदीय है —ममता बनर्जी छोटा अखबार। आपके शब्दों का चयन और आपकी भाव-भंगिमा असंसदीय है। आप शुरू से ही मेरी सलाह की अनदेखी करते रहे हैं।लेकिन सरकार के कामकाज में हस्तेक्षप क्यों कर रहे हैं। इसलिए मैं मजबूर होकर यह पत्र सार्वजनिक कर रही हूं। उन्होने राज्यपाल पर संवैधानिक धर्म का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया है। राज्यपाल को आत्ममंथन करना चाहिए। एक तरफ पुरा देश कोविड 19 महामारी से लड़ रहा है, तो वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच महामारी को लेकर घमासान जारी है। राज्यपाल लगातार ट्वीट के माध्यम से मुख्यमंत्री, मंत्रियों और अधिकारियों पर हमले कर रहे थे। राज्यपाल पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री ने सात पेज का पत्र लिख डाला। कई दिनो से राज्यपाल द्वारा लगातार जारी हमले का सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस ने जवाब नहीं दिया लेकिन गुरूवार को सरकार के धैर्य ने जवाब दे दिया।   मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा कि आप जिस राज्य के राज्यपाल हैं उसी सरकार पर और उसके मंत्रियों,अधिकारियों पर लगातार हमला करनना असंवैधानिक है और आपको यह भी नहीं भूल