High Court: 'सरकार की आलोचना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा, न्यायपालिका की भी आलोचना की जा सकती है': हाईकोर्ट की मौखिक टिप्पणी

High Court: 'सरकार की आलोचना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा, न्यायपालिका की भी आलोचना की जा सकती है': हाईकोर्ट की मौखिक टिप्पणी छोटा अखबार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को एक बार फिर ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर रोक 19 फरवरी तक बढ़ा दी। यह रोक यति नरसिंहानंद के 'अपमानजनक' भाषण पर उनके कथित X पोस्ट (पूर्व में ट्विटर) को लेकर उनके खिलाफ दर्ज FIR के संबंध में लगाई गई। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी की कि सरकार की किसी भी पहलू पर आलोचना की जा सकती है। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है। खंडपीठ ने यह भी कहा कि एक संस्था के रूप में न्यायपालिका भी आलोचना के लिए खुली है। यह टिप्पणी एएजी मनीष गोयल की दलील के जवाब में की गई, जहां उन्होंने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए सरकार की आलोचना और सरकार के फैसलों की आलोचना के बीच अंतर करने की मांग की। खंडपीठ ने मौखिक रूप से यह भी टिप्पणी की कि चूंकि धारा 124ए आईपीसी (राजद्रोह) असहमति को दबा रही थी, इसलिए संसद ने अपनी समझदारी से भारतीय न्याय सं...