RPSC News: 2025 में दोहरे आवेदन और डमी कैंडिडेट पर लगेगी आधार सत्यापन से लगाम
RPSC News: 2025 में दोहरे आवेदन और डमी कैंडिडेट पर लगेगी आधार सत्यापन से लगाम
छोटा अखबार।
राजस्थान लोकसेवा आयोग को राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग से भी अभ्यर्थियों के बायोमेट्रिक सत्यापन की अनुमति प्राप्त हो गई है। 27 नवंबर 2024 को जारी की गई अधिसूचना अनुसार आयोग अभ्यर्थियों के द्वारा किए जाने वाले दोहरे आवेदनों की छंटनी, अभ्यर्थियों के सत्यापन, जालसाजी एवं डमी कैंडिडेट की रोकथाम के लिए आधार सत्यापन प्रणाली का उपयोग कर सकेगा। इससे पूर्व माह सितंबर 2024 में भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा भी आधार कार्ड के माध्यम से अभ्यर्थियों का बायोमेट्रिक सत्यापन करने की अनुमति आयोग को प्राप्त हो गई थी। भर्ती प्रक्रिया के विभिन्न चरणों यथा- ऑनलाइन आवेदन जांच, साक्षात्कार, काउंसलिंग, दस्तावेज सत्यापन, लिखित परीक्षा व नियुक्ति में अभ्यर्थी की पहचान का सत्यापन इसके माध्यम से किया जा सकेगा। गत् समय के दौरान सामने आए डमी अभ्यर्थियों के प्रकरणों को देखते हुए आधार बायोमैट्रिक सत्यापन आयोग की विश्वसनीयता तथा कार्य प्रणाली में मील का पत्थर सिद्ध होगा।
प्रवेश-पत्र पर आयोग का वॉटर मार्क, हस्तलेख नमूना, अंगूठा निशानी व क्यूआर कोड-
भर्ती परीक्षाओं के शुचिता पूर्ण आयोजन एवं डमी अभ्यर्थियों की संभावना को रोकने के लिए आयोग द्वारा अभ्यर्थियों के हस्तलेख का नमूना भी अटेंडेंस शीट पर लिया जाना शुरू किया गया है। इसी प्रकार अटेंडेंस शीट पर अभ्यर्थी की स्पष्ट व बड़ी फोटो प्रिंट की जा रही है ताकि परीक्षा केन्द्र पर वीक्षकों द्वारा अभ्यर्थी की पहचान पूर्णतः सुनिश्चित करते हुए डमी अभ्यर्थियों को रोका जा सके। इसके अतिरिक्त आयोग द्वारा एडमिट कार्ड टेम्परिंग की संभावनाओं को रोकने के लिए क्यूआर कोड का भी प्रावधान किया गया है। इस क्यूआर कोड को स्केन करते ही अभ्यर्थी की जानकारी स्क्रीन पर प्रदर्शित हो जाती है। आयोग द्वारा जारी प्रवेश-पत्र के साथ अटेंडेंस शीट भी संलग्न होती है। इस शीट को परीक्षा केंद्र पर वीक्षक अभ्यर्थी की पहचान कर स्वयं के, केंद्राधीक्षक एवं अभ्यर्थी के हस्ताक्षर करवाकर प्रवेश-पत्र से अलग कर केन्द्र पर जमा करते हैं। परीक्षा संपन्न होने के उपरांत यह अटेंडेंस शीट परीक्षा सामग्री के साथ आयोग को भेजी जाती है।
जालसाजी पर लगाम के लिए वन टाइम रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में बड़ा बदलाव—
राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा परीक्षाओं में जालसाजी व फोटों टेंपरिंग कर आवेदन करने वाले व्यक्तियों पर लगाम के लिए वन टाइम रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया है। अब वन टाइम रजिस्ट्रेशन के दौरान वेब केम के माध्यम से आवेदक की लाइव फोटो कैप्चर की जा रही है। आयोग की इस कार्यवाही से डमी अभ्यर्थियों पर लगाम के साथ ही आवेदन के दौरान गलत फोटों अपलोड होने का बहाना देने वाले अभ्यर्थियों की भी प्रभावी रोकथाम सुनिश्चित हो सकेगी। संशय की स्थिति में आयोग द्वारा परीक्षा दौरान की गई वीडियोग्राफी में उपस्थित अभ्यर्थी का मिलान ओटीआर में कैप्चर की गई फोटो से किया जा सकेगा। आयोग इस हेतु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी इस्तेमाल करेगा।
वीडियोग्राफी:- अभ्यर्थी की उपस्थिति का प्रमाण, की जा रही मूल/डमी अभ्यर्थी की पहचान—
राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा भर्ती परीक्षा दौरान सुरक्षा इंतजामों को और मजबूत करते हुए परीक्षा के लिए निर्धारित स्थान पर बैठे हुए प्रत्येक अभ्यर्थी की वीडियोग्राफी करवाई जाती है। इसके लिए अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र में प्रवेश के लिए निर्धारित किए गए समय के पश्चात् 10 मिनट के भीतर ही परीक्षा कक्ष में अपने स्थान को ग्रहण करने का समय दिया जाता है। 10 मिनट के बाद पूरे परीक्षा केंद्र में प्रत्येक कक्ष में आवंटित स्थान पर बैठे हुए प्रत्येक अभ्यर्थी एवं अनुपस्थित रहे अभ्यर्थियों के रिक्त स्थानों की रोल नंबर के क्रमानुसार वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था की जाती है। यह रिकॉर्डिंग बाद में मूल अभ्यर्थी की पहचान सुनिश्चित करने के लिए उपयोग में लाई जाती है। राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के संबंध में उच्चतम एवं उच्च न्यायालय द्वारा पारित विभिन्न न्यायिक विनिश्चयों को आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। देश भर में संभवत प्रथम बार इस प्रकार की पहल किसी भर्ती आयोग द्वारा की गई है। आयोग की वेबसाइट के होम पेज पर ’’अदर लिंक्स’’ टैब के अन्तर्गत प्रदर्शित ड्राप डाउन मेन्यू में ’’इम्पोर्टेंट कोर्ट जजमेंटस’’ पर क्लिक कर इन न्यायिक निर्णयों को देखा व डाउनलोड किया जा सकता है।
परीक्षा आयोजन प्रक्रिया से संबंधित अनेक विषयों पर कई विधिक प्रकरण विभिन्न माननीय न्यायालयों में प्रायः चलते रहते हैं। आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में देश-प्रदेश के लाखों अभ्यर्थी बैठते हैं। इनमें से कई अभ्यर्थियों द्वारा तथ्यात्मक जानकारी के अभाव में उन समान तथ्य एवं बिन्दुओं पर भी विभिन्न न्यायालयों में आयोग के विरूद्ध वाद दायर कर दिए जाते हैं जिन पर माननीय सुप्रीम कोर्ट एवं हाइकोर्ट द्वारा पूर्व के प्रकरणों में भी आयोग के पक्ष में निर्णय दिया गया है। यह भी देखने में आया है कि अभ्यर्थियों द्वारा दायर वाद के विषय प्रमुखतः उत्तर कुंजी वैधता, स्केलिंग, श्रेणी तथा वर्ग परिवर्तन इत्यादि रहते हैं। इसी कारण आयोग द्वारा विभिन्न न्यायालयों द्वारा निर्णित चुनिंदा निर्णयों का चयन कर आयोग की वेबसाइट पर डाला गया है ताकि संशय की स्थिति में अभ्यर्थी इनका अवलोकन कर सके। इससे अभ्यर्थियों द्वारा विभिन्न न्यायिक वादों के दौरान व्यय किए जाने वाले समय एवं धन की बचत हो सकेगी।
काउंसलिंग दौरान सघन जांच में फर्जी अभ्यर्थी व डिग्रियों का खुलासा—
आयोग द्वारा अभ्यर्थियों की मुख्य सूची जारी करने के पूर्व विचारित सूची जारी कर अभ्यर्थियों की पात्रता जांच का कार्य काउंसलिंग के माध्यम से किया गया। इस दौरान अभ्यर्थी के आयोग कार्यालय में उपस्थित होने पर विस्तृत आवेदन-पत्र में चस्पा की गई फोटो एवं ऑन लाइन आवेदन-पत्र में दी गई फोटो एवं हस्ताक्षर का मिलान किया गया। संदेह के आधार पर की गई सघन जांच में यह सामने आया कि कतिपय अभ्यर्थियों द्वारा कूट रचित तरीके से स्वयं के स्थान पर अन्य व्यक्तियों को परीक्षा में प्रवेश दिलाकर परीक्षा उत्तीर्ण की गई है। ऐसे अभ्यर्थियों की व्यक्तिशः सुनवाई कर परीक्षा में जालसाजी करना पाए जाने पर उनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराकर पुलिस हिरासत में भेजा गया। इसी प्रकार पात्रता जांच के दौरान यह भी सामने आया कि कतिपय अभ्यर्थियों द्वारा चयन पश्चात् फर्जी डिग्री व फर्जी निशक्तता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत कर दिये जाते हैं। आयोग द्वारा ऐसे ही मामले में फर्जी डिग्री का प्रकरण उजागर करते हुए आरोपी अभ्यर्थियों को पुलिस के सुपुर्द किया गया था।
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