Crime News: जघन्य अपराधों में 90 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करना सुनिश्चित करें —केन्द्रीय गृह सचिव

Crime News: जघन्य अपराधों में 90 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करना सुनिश्चित करें —केन्द्रीय गृह सचिव


छोटा अखबार।

केन्द्रीय गृह सचिव गोविन्द मोहन ने मंगलवार को सचिवालय में सम्बन्धित अधिकारियों की बैठक लेकर 3 नये आपराधिक कानूनों भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के राजस्थान में क्रियान्वयन की समीक्षा की व इन कानूनों की मूल भावना, इनसे सम्बंधित एडवाइजरी, एसओपी, मैकेनिज्म की शत-प्रतिशत क्रियान्विति के निर्देश दिए। केन्द्रीय गृह सचिव ने निर्देश दिए कि पुलिस, कारागार, फोरेन्सिक, अभियोजन, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा के कार्मिकों को इन कानूनों के प्रावधानों से सम्बंधित प्रशिक्षण समय सीमा में दिलवाना सुनिश्चित करें। राज्य के 70 प्रतिशत पुलिस बल को यह प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

श्री मोहन ने निर्देश दिए कि पोस्को व कम अवधि की सजा वाले प्रकरणों में 60 दिवस और जघन्य अपराधों में 90 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करना सुनिश्चित करें। यह अधिकतम समय सीमा है, प्रयास करें कि इस समय सीमा से पहले ही चार्जशीट दाखिल हो जाये। उन्होंने बताया कि एक केस में एफआईआर दर्ज होने से सुप्रीम कोर्ट तक निस्तारण में 3 साल की आदर्श समय सीमा निश्चित की गई है। इन कानूनों का एक बडा लक्ष्य त्वरित और सुलभ न्याय मिलना सुनिश्चित करना है। उन्होंने बताया कि नये कानूनों के लागू होने के बाद ई-समन अनिवार्य हो गया है। समन तामील करवाने में पुलिस थाने की भूमिका नहीं रही है, एफआईआर के समय ही शिकायतकर्ता, गवाह आदि के वाट्सएप नम्बर, ई-मेल दर्ज कर लें ताकि सम्बंधित न्यायालय सीधे ई- समन जारी व तामील करवा सकें।

‘‘ई-साक्ष्य’’ की प्रगति की समीक्षा करते हुए केन्द्रीय गृह सचिव ने निर्देश दिए कि सीन ऑफ क्राइम, सर्च और जब्ती की नियमानुसार वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवाना सुनिश्चित करें। वी.सी. के माध्यम से गवाही के लिए राज्य में राजस्थान हाई कोर्ट रूल्स फॉर वीसी फॉर कोर्ट्स लागू है। उन्होंने कारागारों, विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं, मेडिकल कॉलेजों, कलेक्टर और एसडीएम न्यायालयों में वीसी पॉइन्ट स्थापित करने के कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। राज्य के 1200 न्यायालयों में से 105 में वीसी पॉइन्ट स्थापित किए जा चुके हैं। उन्होंने ई-प्रोसेक्यूशन, ई-प्रिजन, जीरो एफआईआर की दूसरे थाने, जिले व राज्य में ऑनलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया, ई-साक्ष्य आदि के सम्बंध में राज्य में जारी एसओपी, उसकी पालना और प्रगति की भी समीक्षा की।

केन्द्रीय गृह सचिव ने फोरेन्सिक लैब्स में संरचनात्मक ढॉंचे और प्रशिक्षित मानव संसाधन की शत-प्रतिशत उपलब्धता सुनिश्चित करने, खाली पदों पर भर्ती प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए। उल्लेखनीय है कि राज्य के सभी सम्भाग मुख्यालयों पर राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला संचालित हैं। जयपुर में डीएनए यूनिट के विस्तार और साइबर फोरेन्सिक खण्ड का निर्माण आगामी सितम्बर माह तक पूर्ण होने की सम्भावना है। उल्लेखनीय है कि 7 साल या इससे अधिक अवधि की सजा के प्रावधान वाले प्रत्येक केस में फोरेन्सिक विशेषज्ञ द्वारा घटना स्थल का परीक्षण अनिवार्य है। सभी मेडिको लीगल केस में दस्तावेज ऑनलाइन करना अनिवार्य है। राजधानी के एसएमएस और कांवटिया अस्पताल में इसका पायलट प्रोजेक्ट संचालित करना प्रस्तावित है। उन्होंने इन कानूनों के लागू होने के बाद निस्तारित प्रकरणों में से रैण्डमली 100 प्रकरण लेकर इनके निस्तारण की अवधि, सजा मिलने की दर की स्टडी करने तथा ये कानून लागू होने से पूर्व निस्तारित प्रकरणों से तुलना के निर्देश दिए। 

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