Co-operation News: राष्ट्रीय सहकार सप्ताह कार्यक्रम में सामने आया राज्य मंत्री दक का आईक्यू लेवल

Co-operation News: राष्ट्रीय सहकार सप्ताह कार्यक्रम में सामने आया राज्य मंत्री दक का आईक्यू लेवल 


छोटा अखबार।

नेहरू सहकार भवन के सभागार में मंगलवार को राजस्थान सहकारी संघ के 71वें राष्ट्रीय सहकार सप्ताह के तहत आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में सहकारिता राज्य मंत्री गौतम कुमार दक का आईक्यू लेवल सामने आया। 

श्री दक ने अपने भाषण में कहा कि यदि निर्वाचित प्रतिनिधियों को सहकारी कानून, नियम और संस्था के उपनियमों की पूरी जानकारी है तो वह अपने अनुभव और स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर संस्था के संचालन में महती भूमिका निभा सकते हैं। तो क्या राज्यमंत्री के भाषण से ये समझा जाये कि सहकारिता विभाग में अब तक हुए निर्वाचित प्रतिनिधियों को सहकारी कानून, नियम और संस्था के उपनियमों की पूरी जानकारी नहीं है। दूसारी ओर राज्यमंत्री ने निर्वाचित प्रतिनिधियों के कार्य और दायित्वों पर भी सवाल खड़े किये हैं। उन्होने अपने संबोधन में कहा कि सहकारी संस्था के प्रभावी संचालन में निर्वाचित प्रतिनिधियों और कार्मिकों के मध्य समन्वयय के साथ-साथ अपने-अपने कार्य दायित्वों के निर्धारण और उनके निर्वहन की आवश्यकता है।  



जबकि इसी कार्यक्रम में भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ एवं इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने अपने आईक्यू लेवल का एहसास कराते हुए कहा कि हमें महिला और युवाओं के मामले में नजरिया बदलने की आवश्यकता है कि वे कमजोर हैं। हम महिलाओं और देश के युवाओं को अवसर उपलब्ध नहीं कराते हैं, जिससे उनकी योग्यता का उपयोग नहीं हो पाता है। उन्हें मौका देंगे तो उनकी ऊर्जा का सदुपयोग होगा और वे अपने विकास के साथ-साथ समाज और देश के विकास में नये रंग भर देंगे। इसलिये उन्होंने सहकारजन का आह्वान किया कि वे सहकारी सोसायटियों के माध्यम से महिलाओं और युवाओं की योग्यता के आधार पर अवसर तलाशे और प्लेटफार्म उपलब्ध करावें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिक सोसायटियों के लिये मॉडल उपनियमों के संहिताकरण का कार्य किया जा रहा है और उनके लिये अब 50 से अधिक क्षेत्रों की पहचान की गई है जिसमें ऐसी सोसायटियां कार्य कर सकती हैं। श्री संघानी ने कहा कि केन्द्र सरकार की पहल पर अब किसान या आर्टिजन अपने उत्पादों का पोर्टल के माध्यम से एक्सपोर्ट कर सकता है, उसे इसके लिये किसी बिचौलिये की आवश्यकता नहीं है।

मामले में जब कई निर्वाचित प्रतिनिधियों से बात की तो ज्यादातर प्रतिनिधियों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ये मंत्री जी की अज्ञानता को दर्शाता है और शायद सहकारी कानून, नियम और संस्था के उपनियमों की पूरी जानकारी उन्हे नहीं है।

 

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