President Smt. Draupadi Murmu: मानगढ़ धाम में हुआ 'आदि गौरव सम्मान'

President Smt. Draupadi Murmu: मानगढ़ धाम में हुआ 'आदि गौरव सम्मान' 


छोटा अखबार।

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु शुक्रवार को बांसवाड़ा स्थित मानगढ़ धाम में आयोजित ’आदि गौरव सम्मान’ समारोह के अवसर पर सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि 17 नवंबर, 1913 को मानगढ़ धाम में अंग्रेजों ने भील समुदाय के 1500 से अधिक बहादुरों की निर्मम हत्या कर दी थी। उन्होंने कहा कि इस गौरवशाली बलिदान की शौर्य गाथाओं के बारे में पूरे देश के लोगों को, विशेषकर युवाओं को जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने इस अवसर पर मानगढ़ आंदोलन से जुड़े भील समुदाय के गीत... भूरेटिया, नई मानूं रे नई मानूं... का भी उल्लेख किया।

 


आदिवासी समुदाय का भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ाव—

समारोह में राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागडे ने कहा कि आदिवासी समुदाय का शुरू से ही भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ाव रहा है। इस समुदाय में प्रकृति को सहेजने की परंपरा रही है। हमें आदिवासियों की इसी परंपरा से प्रेरणा लेकर प्रकृति का संरक्षण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें आदिवासियों द्वारा बनाए जा रहे उत्पादों का ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार करना चाहिए, जिससे इन उत्पादों को उचित प्लेटफार्म मिल सके। श्री बागडे ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय समुदाय में जनजातियों की महत्वपूर्ण भूमिका को समझते हुए पहली बार अलग से जनजातीय कल्याण मंत्रालय की स्थापना की थी। इसके बाद जनजातियों के विकास के लिए निरन्तर काम किए गए। 


देश की संस्कृति को समृद्ध बनाने में आदिवासियों का विशेष योगदान—

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि आदिवासी समुदाय का तीर्थस्थल मानगढ़ धाम पूरे भारत में एक ऐतिहासिक धरोहर है। यहां गोविंद गुरू जी के नेतृत्व में आदिवासी समुदाय ने अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़कर साहस और बलिदान की अनुपम मिसाल पेश की। उन्होंने कहा कि देश की संस्कृति को समृद्ध बनाने में आदिवासियों का विशेष योगदान रहा है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार आदिवासी समुदाय के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। मानगढ़ धाम को एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिससे इस क्षेत्र की संस्कृति के प्रचार के साथ स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि मां-बाड़ी में कार्यरत शिक्षाकर्मी, महिला सहयोगिनी तथा स्वास्थ्य कर्मियों के मानदेय में 10 प्रतिशत की वृद्धि, आवासीय विद्यालयों सहित राजकीय एवं अनुदानित छात्रावासों में छात्र-छात्राओं के लिए मैस भत्ता 2500 से बढ़ाकर 3000 रुपये करना, टीएसपी फण्ड को 1000 करोड़ से बढ़ाकर 1500 करोड़ रुपये करने सहित विभिन्न निर्णयों से राज्य सरकार आदिवासियों को समृद्ध एवं सशक्त बनाने के लिए निरन्तर कार्य कर रही है। 

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