RPSC: आरपीएससी में नही होगी कोई पूछताछ, अंततः दफन होगा पेपरलीक का मामला

 RPSC: आरपीएससी में नही होगी कोई पूछताछ, अंततः दफन होगा पेपरलीक का मामला


—महेश झालानी


छोटा अखबार।

एक तरफ बीजेपी के कद्दावर नेता और राजस्थान सरकार के कृषि मंत्री डॉ किरोड़ीलाल मीणा आए दिन पेपर लीक को लेकर नए नए खुलासे कर रहे है । दूसरी ओर एसओजी का कहना है कि अभी ऐसी कोई स्टेज नही आई है जिसके आधार पर आरपीएएसी की किसी सदस्य या पूर्व अध्यक्ष से पूछताछ की जाए । 

डॉ. किरोड़ी पिछले कुछ साल से निरन्तर आरपीएससी में व्याप्त भ्रस्टाचार और कतिपय परीक्षाओं में गड़बड़ी को लेकर आक्रामक रूप से मुखरित है। उन्होंने आरोप लगाया कि कतिपय भर्ती में आरपीएससी के तीन पूर्व अध्यक्ष भूपेंद्र यादव, शिव सिंह राठौड़ और संजय श्रोत्रिय लिप्त रहे है। बावजूद इसके एसओजी का स्पस्ट कहना है कि फिलहाल किसी भी पूर्व अध्यक्ष या सदस्य से पूछने की स्थिति नही आई है । 








एसओजी के एडीजी वीके सिंह से हुई बात के अनुसार, उन्होंने यह तो स्वीकार किया कि अभी और गिरफ्तारियां होना बाकी है। लेकिन आरपीएएसी के पूर्व अध्यक्ष या सदस्यों से पूछताछ की बात पर उन्होंने स्पस्ट इनकार कर दिया। सिंह ने कहा कि पेपर लीक में करीब 50-60 व्यक्ति वांटेड है। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी होना लाजिमी है। उनका कहना था कि अभी तक ऐसे कोई सबूत हासिल नही हुए है, जिसके आधार पर कहा जाए कि आरपीएससी सदस्य या पूर्व अध्यक्षों से पूछताछ की जाएगी। उन्होंने स्पस्ट रूप से कहा कि आरपीएससी स्तर पर कोई पूछताछ होना शेष नही है। 


डॉ. करोड़ी पेपर लीक में लिप्त लोगो और आरपीएससी में धांधली करने वालो के पीछे हाथ धोकर पड़े हुए है। लेकिन अतीत की घटनाओं को देखते हुए लगता नही है कि कोई बहुत बड़ा मगरमच्छ पकड़ा जाएगा। हालांकि मुख्यमंत्री घोषणा कर चुके है कि अभी कई मगरमच्छो को पकड़ना है। लेकिन एसओजी स्पस्ट कर चुकी है कि आरपीएससी स्तर पर कोई पूछताछ नही करनी है। 

डॉ. किरोड़ी ने पूर्व में भी प्रौद्योगिक भवन में मिली नकदी, गणपति प्लाजा के लॉकरों में जमा राशि को लेकर खूब उत्पात मचाया था। लेकिन नतीजा क्या निकला, सर्वविदित है। एसीबी ने प्रौद्योगिकी भवन में मिली नकदी के मामले में तो एफआर ही लगा दी थी। इससे पहले रामगढ़ बांध इलाके में सरकारी जमीन को हथियाकर बनाए गए फार्म हाउस का मामला खूब उछला था। हाईकोर्ट के निर्देश पर वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेंद्र डांगी के नेतृत्व में एक निरीक्षण दल का गठन किया गया था। यह मामला खूब अखबारों की सुर्खियां बना। न तो अतिक्रमण हटे और न ही रिसोर्ट आदि को ध्वस्त किया गया।

इसी प्रकार आगरा रोड पर मुर्गी फार्म मामला भी अखबारों में खूब छाया रहा। सरकार ने जरूरतमन्दों को रोजगार मुहैया कराने की गरज से मुर्गी पालन हेतु जमीन का आवंटन किया था। आज मुर्गिया तो नही है। लेकिन बड़े बड़े फार्म हाउस अभी भी बरकरार है। ऐसे अनगिनत मामले है जो कुछ दिनों तक तो अखबारों की सुर्खियां बनते है। कालांतर में वे दफन होकर रह जाते है। पेपर लीक का मामला हो या आरपीएससी के अध्यक्षों द्वारा रिश्वत लेकर अयोग्य लोगो की भर्ती प्रकरण, अंततः ये भी दफन होना सुनिश्चित है। ज्यादा से ज्यादा कुछ लोगो की गिरफ्तारी और हो जाएगी। एकाध जनों को सजा मिलेगी। लेकिन बड़े मगरमच्छ काबू में आएंगे, ऐसा सोचना भी पाप है। उधर डॉ. किरोड़ी की वाहवाही की बजाय लोग हंसी उड़ा रहे थे। यदि उन्हें पद का मोह नही है तो उन्हें पार्टी अनुशासन की दीवार को फांदते हुए धरना और प्रदर्शन करना चाहिए। 

बाबा को तय करना होगा कि उन्हें बिजेपी प्यारी है या बेरोजगारों की पीड़ा। दो नावों पर सवार व्यक्ति कभी सफल नही होता है। भले ही वे भीड़ जुटाने में कामयाब हो जाते है, लेकिन क्षेत्र में उनकी वास्तविक स्थिति क्या है, यह उन्हें नही भूलना चाहिए। अपने क्षेत्र दौसा और पूर्वी राजस्थान के चुनावों में उनकी क्या गत बिगड़ी, किसी को बताने की आवश्यकता नही है। उन्हें अपनी प्रतिष्ठा को बहाल करने के लिए सभी बंदिशों को तोड़ना ही होगा।

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