प्रदेश बड़े भू-खण्ड़ों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट होना अनिवार्य -मंत्री कन्हैया लाल
प्रदेश बड़े भू-खण्ड़ों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट होना अनिवार्य
छोटा अखबार।
प्रदेश में 2500 वर्गमीटर और उससे बड़े भू-खण्डों में स्नानागार व रसोई के अपशिष्ट जल के शुद्धिकरण और रिसाईकिलिंग की व्यवस्था किया जाना आवश्यक होगा। इसमें शोचालय से निकलने वाला जल शामिल नहीं होगा। 10 हजार वर्ग मीटर से अधिक सकल निर्मित क्षेत्र होने पर अपशिष्ट जल के शुद्धिकरण हेतु सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाना आवश्यक होगा। शोचालय में उपयोग में ली जाने वाली वॉटर क्लोजेट में ड्यूल फ्लश बटन वाले सिस्ट्रन ही अनुमत होगा। प्रदेश में जल की सीमित उपलब्धता को मध्यनजर रखते हुए अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण और पुनः उपयोग प्रणाली व सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भू-जल विभाग और नगर विकास एवं स्वायत्त शासन विभाग ने संयुक्त परिपत्र जारी किया है।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भू-जल मंत्री कन्हैया लाल ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण हेतु भवन विनियम 2020 की विनियम 10.11.2 में अपशिष्ट जल शुद्धिकरण एवं रिसाईकिलिंग के आवश्यक प्रावधान किये गए है। उन्होंने बताया कि अपशिष्ट जल के परिशोधन की प्राथमिक जिम्मेदारी स्थानीय निकाय की है। उपयोगकर्ता द्वारा आवेदन करने पर जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित शहर स्तरीय समिति एवं पर्यावरण समिति परिशोधित जल के पुनः उपयोग के सम्बन्ध में वास्तविक उपयोगकर्ता की सलाह पर राज्य सीवरेज एवं वेस्ट वॉटर नीति 2016 में निर्धारित दरों पर निर्णय करने का प्रावधान है।
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