पशुपालन विभाग को जल्द मिल सकेंगे 900 पशु चिकित्सा अधिकारी —पशुपालन मंत्री

पशुपालन विभाग को जल्द मिल सकेंगे 900 पशु चिकित्सा अधिकारी —पशुपालन मंत्री


छोटा अखबार।

पशुपालन विभाग में पशु चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती के मामले में माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा चयनित अधिकारियों की भर्ती के आदेश दे दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में आरपीएससी ने पशु चिकित्सा अधिकारी के़ 900 पदों के लिए विज्ञप्ति निकाली थी। 

इस संबंध में पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि 2020 में इन भर्तियों का रिजल्ट आने पर इसकी चयन प्रक्रिया में विसंगति का आरोप लगाकर कुछ आवेदकों द्वारा इस पर कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी गई थी। और तब से यह मामला कोर्ट में ही चल रहा था। वर्तमान सरकार के कार्य भार ग्रहण करते ही इस मामले को गंभीरता से लेकर इसे त्वरित गति से निपटाने के निर्देश दिए गए। श्री कुमावत ने कहा कि इस निर्णय से विभाग में पशु चिकित्सा अधिेकारियों की कमी से क्षेत्र में जो परेशानियां आ रही थीं वह दूर हो सकेंगी साथ ही आगे की भर्तियों की प्रक्रिया भी शीघ्र ही शुरू की जाएगी।


राज्य सरकार के महाधिवक्ता राजेंद्र गुप्ता द्वारा राज्य सरकार की ओर से उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाया गया कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में राज्य सरकार को परिणाम घोषित करने और चयनित व्यक्तियों को नियुक्ति पत्र जारी करने की स्वतंत्रता प्रदान कर दी थी जो कि एस एल पी में सर्वोच्च न्यायालय के अधीन है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि माननीय न्यायालय के समक्ष दो तरह की विरोधाभासी याचिकाएं दायर की गई थीं और इन याचिकाओं में दो विरोधाभासी आदेश पारित कए गए हैं। ऐसे में प्रतिवादी किसी भी आदेश के साथ आगे बढ़ने में असमर्थ है क्योंकि ऐसा करना माननीय न्यायालय की अवमानना के समान होगा। सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने वर्तमान चयन प्रक्रिया के संबंध में किसी भी टकराव से बचने के लिए सभी रिट याचिकाओं को एक साथ जोड़ने का फैसला लिया साथ ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को ध्यान में रखते हुए यह भी फैसला लिया कि वह याचिकाकर्ताओं को पूरी चयन प्रक्रिया को और अधिक रोकने की अनुमति नहीं दे सकता। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को  पशु चिकित्सा अधिकारी भर्ती 2019 का परिणाम घोषित करने व चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने के निर्देश दिए। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार यह शर्त भी रखी कि उनका चयन माननीय उच्च न्यायालय और माननीय सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन याचिकाओं के परिणाम के अध्याधीन होगा।

उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ताओं के परिणाम सीलबंद लिफाफे में लेकर आएं जिनके पक्ष में अंतरिम आदेश पारित किया गया है और जिन्हें साक्षात्कार में अनंतिम रूप से उपस्थित होने की अनुमति दी गई है। साथ ही क्योंकि इस चयन प्रक्रिया को लेकर कई तरह की याचिकाएं कोर्ट में दाखिल की गई हैं, उच्च न्यायालय ने रजिस्ट्री को इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा ताकि मुख्य न्यायाधीश महोदय द्वारा ऐसे समान मामलों पर एक विशेष पीठ द्वारा सुनवाई की अनुमति देने के आदेश दिए जा सकें।

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