असंसदीय आचरण को बर्दास्त नहीं करूँगा -विधानसभा अध्यक्ष
असंसदीय आचरण को बर्दास्त नहीं करूँगा -विधान सभा अध्यक्ष
छोटा अखबार।
राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने मंगलवार को सदन में विधायक शान्ति धारीवाल द्वारा अससदीय आचरण पर माफी मागने के बाद कहा कि मुझे बहुत दुःख है कि इस सदन में सदन के वरिष्ठ सदस्य जो पांचवी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं, जिन्हें सदन की प्रक्रिया तथा परम्पराओं का ज्ञान है। जो इस सदन में ससदीय कार्य मंत्री रहे हैं, जो नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री रहे हैं, जिनका कार्य सदन को मर्यादित, व्यवस्थित और अनुकरणीय बनाना है ताकि नए सदस्य उनसे प्रेरणा ले सके। ऐसे व्यक्ति जब सदन की मान मर्यादा भूलकर अमर्यादित और अपशब्दों का इस्तेमाल करते है, यह हम सबके लिए और लोकतंत्र के लिए चिंतनीय है, सोचनीय है।अध्यक्ष ने सदन में व्यवस्था देते हुए श्री धारीवाल को दो दिन सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय दिया। उन्होंने कहा कि आज और कल आप विधान सभा तो आएंगे, लेकिन सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे। मैं तो चाहता था जिस तरह का आचरण था, चार साल तक सदन के सदस्य रहने का हक नहीं था। आपके दल के सदस्यों के आग्रह और माफी के बाद मैने फैसला किया है।
श्री देवनानी ने कहा कि जिस तरह का आचरण किया गया, इससे सदन की गरिमा को भारी ठेस पहुंची, आपको अंदाजा नहीं है, जब मीडिया में यह बात गई तो इस सदन की क्या गरिमा रह गई? इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। आगे से चेतावनी है कि आप आचरण ठीक रखें। सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाने पर किसी को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होने ने कहा कि हमने अबकी बार नये विधायकों के लिए प्रशिक्षण-प्रबोधन कार्यक्रम चलाया तो क्या अब वरिष्ठ विधायकों के लिए भी अलग से कोई प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाए? हमारे लिए शर्म की बात है, पूरा राजस्थान ही नहीं, हमारी इस पवित्र विधान सभा की कार्यवाही सपूर्ण देश देख रहा है इस मान मर्यादा वाले प्रदेश की छवि पर कितना गंभीर विपरीत प्रभाव होगा इस पर हम सभी को विचार करना होगा।
ऐसा आचरण न करें, जिसके लिए कठोरतम कार्यवाही करने के लिए मजबूर होना पडे।अध्यक्ष ने कहा कि आज यह मेरी अंतिम चेतावनी है और भविष्य में मुझे इस प्रकार के आचरण के लिए कठोरतम कार्यवाही करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। मेरे अध्यक्ष रहते ऐसे असंसदीय आचरण को मैं बर्दाश्त नहीं करूंगा। मुझे इस सदन का अध्यक्ष होने के नाते बहुत सारे दायित्वों में से एक कार्य सदन की मर्यादा बनाए रखना भी है।
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