पंजाब की दादागिरी के समक्ष राजस्थान असहाय, जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह की रहस्यमय खामोशी

 पंजाब की दादागिरी के समक्ष राजस्थान असहाय, जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह की रहस्यमय खामोशी


महेश झालानी


छोटा अखबार।

राज्य सरकार की लापरवाही और उदासीनता के चलते हुए प्रदेश को पंजाब से न तो अपने हिस्से का पानी मिल पा रहा है और न ही पंजाब द्वारा हेडवर्क्स से कब्जा छोड़ने की पहल की जा रही है । यह स्थिति तब है जब केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत राजस्थान के ही रहने वाले है । इस मामले में वे पूरी तरह उदासीन है । उनकी ओर से कोई प्रभावी पहल आज तक नही की गई । 

दुर्भाग्य की बात यह है कि राज्य सरकार द्वारा खानापूर्ति के लिए करीब दो साल पहले (16.2.2022) को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव पंकज कुमार को खत लिखा गया । उसके बाद से राज्य सरकार चादर तानकर सोई हुई है । कमोबेश यही हाल केंद्रीय जल शक्ति गजेंद्र सिंह का है । वे प्रभावी पहल करें तो इस समस्या का मुकम्मल हल निकल सकता है । 

अंतरराज्यीय जल समझौते के अंतर्गत रावी और ब्यास नदी के 8.6 एमएफ पानी मे से 0.17 एमएएफ पानी राजस्थान को देना तय हुआ था । लेकिन पिछले 45 साल से पंजाब राजस्थान के हिस्से के पानी पर सरेआम डाका डाल रहा है । परिणामतः राजस्थान के किसान पानी से महरूम है और हर साल उनकी फसल सूखकर रह जाती है । 

राजस्थान सरकार द्वारा केवल औपचारिकता पूरी करने के लिए खत लिख देती है । लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई अभी तक देखने को नही मिली । नॉर्थन जोनल कौंसिल जिसके अमित शाह अध्यक्ष है, की ओर से भी इस मामले में प्रभावी दखल नही दिया गया । पिछली बैठक में मुख्य सचिव के तौर पर उषा शर्मा ने कौंसिल में यह मामला उठाया था । लेकिन अमित शाह और गजेंद्र सिंह दोनों इस मामले को टाल गए । 

बात केवल अपने हिस्से के पानी की नही है । पंजाब ने हरिके, रोपड़ और फिरोजपुर हेडवर्क्स पर भी 45 साल से जबरन कब्जा कर रखा है । समझौते के अनुसार हैडवर्क्स पर भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) का नियंत्रण होना चाहिए । लेकिन सभी कानूनों को अंगूठा दिखाते हुए पंजाब इन हेडवर्क्स पर काबिज है । 

हेडवर्क्स एक तरह से पानी छोड़ने की टूंटी होती है । चूंकि तीनो हेडवर्क्स पर पंजाब का नाजायज कब्जा है । इसलिए जब राजस्थान को पानी की आवश्यकता होती है, पंजाब पर्याप्त मात्रा में पानी नही छोड़ता है । नतीजन राजस्थान में इंदिरा गांधी इलाके के किसान पानी से महरूम रह जाते है और पानी के अभाव में किसानों की फसल तबाह होकर रह जाती है । यह सिलसिला पिछले 45 साल से चला आ रहा है । 

गौरतलब यह भी है कि जब पंजाब को पानी की आवश्यकता नही होती यानी जब बरसात होती है तो वह सारा पानी राजस्थान में छोड़ देता है । इससे घग्गर नदी में बाढ़ आ जाती है और किसानों की फसल फिर से बर्बाद । राजस्थान के पास बाढ़ से बचने का कोई उपाय नही होता, लिहाजा वह पानी पाकिस्तान की ओर चला जाता है । इस तरह कीमती करोड़ो लीटर पानी पाकिस्तान में भेजना हमारी विवशता बन गई है । 

पंजाब स्पस्ट रूप से मना कर चुका है कि उसका इरादा हेडवर्क्स पर कब्जा छोड़ने का कतई नही है । इस बारे में मैंने 1986 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला से पूछा कि आप हेडवर्क्स से कब्जा छोड़ने का इरादा रखते हो ? उनका जवाब था कि पंजाब की जनता नही चाहती है कि हेडवर्क्स पर किसी ओर का कब्जा हो । यही राय पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री भगवंत मान की है । 

वसुंधरा राजे ने इस मसले का प्रभावी हल निकालने के लिए अवश्य पहल की थी । उन्होंने रोहिताश्व शर्मा को अंतरराज्यीय जल विवाद आयोग का अध्यक्ष बनाया था । लेकिन समय पूरा करने और मौज मस्ती के अलावा वे कुछ नही कर पाए । जब पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार थी, तब भी मैंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ध्यान में यह मामला लाया था । लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई रुचि नही दिखाई । 

कांग्रेस को चाहिए कि वह राजस्थान के प्रभारी महासचिव सुखजिंदर सिंह रंधावा के प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए इस समस्या का स्थायी समाधान खोजे । इसके अलावा हरीश चौधरी जो पंजाब के प्रभारी है, उनको भी इस मामले में शामिल करना चाहिए । बेहतर होगा कि एक सर्वदलीय समिति गठित कर इस समस्या का स्थायी समाधान होना आवश्यक है । वरना केंद्र सरकार बहकाती रहेगी और पंजाब दिखाता रहेगा अंगूठा ।  जब राम मंदिर के लिए केंद्र सरकार मजबूती से लड़ाई लड़ सकती है तो इस मसले पर गुरेज क्यो ?

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