Chief Ministers -मुख्यमंत्री के विभाग में तैयार होते हैं, कूटरचित दस्तावेज

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मुख्यमंत्री के विभाग में तैयार होते हैं, कूटरचित दस्तावेज

 

छोटा अखबार।

पिछले अंक में आपने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के खास महकमों में शामिल सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में हुए खेला के बारें में पढ़ा। आज के अंक में आप पढ़ोगे कि कैसे इस खास महकमें में अधिकारियों द्वारा नोट सीट में हेरा—फेरी कर कूटरचित दस्तावेज तैयार किया जाता है और कैसे नियमों की अनदेखी कर खेला किया जाता है। वैसे इस विभाग के लिये ये कोई नई बात नहीं है। कुछ इसी तरह का खेला विभाग ने 571 पत्रकारों के साथ किया था। जिसका दंश पत्रकार परिवार सहित आज तक झेल रहे हैं।

 


मामले में आप सभी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में वर्ष 2016—17 के लिए वरिष्ठ सहायक पदों की डीपीसी हेतु दिनांक 20 जून 2018 और 20 फरवरी 2023 को विभागीय पदौन्नति समिति की बैठक हुई जिसमें एक बार 10 पदों का उल्लेख किया गया और फिर हेरा—फेरी कर कूटरचित 13 पदों का उल्लेख कर वरिष्ठ सहायकों को पदौन्नत कर दिया गया।

आपको बतादें कि दिनांक 14 दिसम्बर 2022 को कर्मिक विभाग के संयुक्त शासन सचिव रामनिवास मेहता ने सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को आगाह करते हुए वरिष्ठ सहायक पद की वर्ष 2013—14 से 2021—22 तक की डीपीसी पर सवाल उठाते हुए प्रशासनिक विभाग के परिपत्र दिनांक 4 जून 2008, परिपत्र दिनांक 31 मई 2015 और अधिसूचना दिनांक 11 सितम्बर 2011 के दिशा—निर्देशों और प्रवधानों को सूनिश्चत करने को कहा था। वहीं श्री मेहता ने दिनांक 7 नवम्बर 2022 को वर्ष 2013—14, 2014—15 और 2015716 की हुई डीपीसी में भी जनसम्पर्क विभाग से स्थिति स्पष्ट करने को कहा था और कहा थ कि उपरोक्त डीपीसी किस आधार पर की गई।

आपको यह भी बतादें कि रिव्यू डीपीसी के मामले में भी सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग ने नियमों की अनदेखी की थी। 28 अक्टूबर 2022 वर्ष 2019—20 से 2020—21 की डीपीसी रिव्यू करने के लिये कार्मिक विभाग को प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव में संख्या: एफ.1(2) गृह/सम्पर्क./सचि./प्रको./2014 दिनांक 25 दिसम्बर 2014 के आदेश अनुसार कार्य संचालन नियमावली के नियम 21 और 22 की अनदेखी कर सीधे ही निदेशक स्तर पर कार्मिक विभाग को फाइल भेज दी गई थी। जबकि नियमानुसार विभाग के नियंत्रणाधीन अराजपत्रित कर्मचारी वर्ग संबंधीत स्थानापन्न के मामले में शासन सचिव या प्रमुख शासन सचिव के माध्यम से भेजी जानी चाहिए थी।

 

अब देखना यह है कि उपरोक्त मामलों में माननीय मुख्यमंत्री और जुगलजोड़ी के रूप में जाने वाली जोड़ी सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के सचिव समित शर्मा और आयुक्त सुनिल शर्मा क्या कदम उठाते हैं या फिर इसी तरह इस विभाग में कूटरचित दस्तावेज तैयार किए जाते रहेगें।

 


 

 

 

 

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