पोलटिकल अफेयर कमेटी की मीटिंग में गहलोत की वक्र दृष्टि
पोलटिकल अफेयर कमेटी की मीटिंग में गहलोत की वक्र दृष्टि
छोटा अखबार।
प्रदेश के वॉर रूम में कांग्रेस की पोलटिकल अफेयर कमेटी की पहली बैठक हुई। इस कमेटी का गठन महज दो दिन पहले होना बताया गया है। बैठक में भाग लेने वाले कई नेता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कोप भाजन का शिकार हो गये। सरकार की वापसी के सपने देख रहे परेशान गहलोत ने अपने ही मंत्री मंडल के साथियों पर गुस्सा निकालते नजर आए। बैठक में मुख्यमंत्री स्थिति देख उपस्थित नेताओं के चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगी। वहां मौजूद मधुसूदन मिस्त्री, वेणुगोपाल, रंधावा, सचिन पायलट और संवैधानिक पद पर बैठे सी पी जोशी केवल मूक दर्शक बने नजर आये। संचार माध्यमों के अनुसार मुख्यमंत्री की यह हालत उनकी दर्जनों घोषणाओं के बाद भी राज्य के मतदाताओं का कांग्रेस के प्रति सकारात्मक रुख नहीं बन पाना बताया जा रहा है।
आपको बता दें कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार की वापिस के प्रयास केवल मुख्यमंत्री ही करते नजर आ रहे है। यहीं कारण है कि गहलोत बार बार दोहरा रहे हैं कि उनकी सरकार के खिलाफ राज्य में इस बार एंटी इनकम्बेंसी का वातावरण नहीं है। बैठक में गहलोत ने मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास को भविष्य में फाउल नहीं खेलने की सीख दे डाली। वहीं गहलोत की वक्र दृष्टि पूर्व मंत्री रघु शर्मा पड़ी और उन्हे कहा कि केकडी को जिला बनाने से स्थिति में सुधार आया है, वहीं एक दिन पहले गहलोत ने रघु को एक महिल नेत्री के माध्यम से नमस्कार कहलवाकर राजनीति संदेश दे दिया था। इसी बीच आरक्षण के मुद्दे पर सुझाव देने वाले रघुवीर मीणा भी अछूते नही रहे। मुख्यमंत्री ने कहा क्या कभी एक भी विधायक को भी चुनाव जिताया है आपने? नीरज डांगी भी मुख्यमंत्री की वक्र दृष्टि से नही बच पाये। उन्होने डांगी से कहा तुम स्वंय तीन बार विधानसभा चुनाव हारे हो फिर भी तुम्हें राज्यसभा में भेजा अब अपने साले के लिए टिकिट मांगते हुए शर्म नहीं आती है, बन्द करो नेतागिरी। मीटिंग में मंत्री रामलाल जाट और उदय लाल आंजना भी गहलोत की वक्र दृष्टि से बच नहीं पाये।
अब अगली मीटिंग 18 अगस्त को होना तय हुआ है। इस दौरान जिम्मेदार नेताओं को ब्लॉक स्तर पर फिड बैक लेने को कहा गया है।
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