कुंजीलाल मीणा की विधायक बनने की कुंठा, सरकार के लिए घातक
कुंजीलाल मीणा की विधायक बनने की कुंठा, सरकार के लिए घातक
छोटा अखबार।
यूडीएच को प्रमुख सचिव कुंजीलाल मीणा अच्छे से जानते हैं कि जनता में बेहतर छवि बनाने वाले पत्रकारों को ही यदि गहलोत सरकार के खिलाफ खड़ा कर दिया जाए तो दुबारा सत्ता में आना निश्चित ही खुद गहलोत के लिए भी मुश्किल होगा। शायद वे ‘सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे’ कहावत पर अमल कर रहे हैं। सभी जानते हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पत्रकारों और उनकी समस्याओं के प्रति हमेशा संवेदनशील रहे हैं और इसीलिए उन्हें मीडिया फ्रेंडली मुख्यमंत्री भी कहा जाता है। पत्रकारों की आवास की समस्याओं पर संवेदना दिखाते हुए उन्होंने दिसम्बर, 2021 में राज्य स्तरीय पत्रकार आवास समिति का अध्यक्ष बनाकर कुंजीलाल मीणा को इसका काम सौंपा था और इन्हें नई पत्रकार आवास योजना सृजित कर पत्रकारों को भूखंड देने की महती जिम्मेदारी दी थी। समिति में डीआईपीआर के निदेशक और अनेक वरिष्ठ पत्रकार शामिल हैं। लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत की मंशानुसार जब भी समिति के सदस्यों ने काम करना चाहा, बतौर अध्यक्ष कुंजीलाल मीणा ने सहयोग नहीं किया है। एक वर्ष तक कुछ ही बैठकें आयोजित कर महज खानापूर्ति हो पाई। समिति के सदस्य चाहते थे कि जयपुर में पत्रकार आवास योजना के लिए भूमि चिन्हित हो, लेकिन एक साल निकलने तक योजना लाना तो दूर भूमि भी चिन्हित नहीं की जा सकी है। पत्रकार सदस्यों के दबाव में समिति अध्यक्ष और यूडीएच सचिव मीणा ने सदस्यों को बगराना में पत्रकार आवास के लिए भूमि देखने भेज दिया, इस भूमि को तो पहले से हेरिटेज जयपुर के लिए प्रस्तावित किया जा चुका था। समिति में सदस्य पत्रकारों का भी कहना है कि मीणा ने समिति को हमेशा गुमराह किया है और उनकी कतई इच्छा नहीं है कि पत्रकारों को प्लॉट मिले।
गहलोत ने तो सरकार में आते ही पिछली सरकार की योजना पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव की भी सुध ली थी, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें इस योजना की भूमि इकॉलोजिकल में आने की कहकर खारिज कर दिया। यूडीएच प्रमुख सचिव कुंजीलाल मीणा विधानसभा तक में कह चुके हैं कि नायला की पत्रकार योजना की भूमि उच्च न्यायालय के वर्ष 2017 के निर्णय के अनुसार इकॉलोजिकल जोन में है। अक्टूबर, 2022 में जब योजना के आवंटियों ने अपनी पत्रकारिता और मेहनत से इस भूमि को इकॉलोजिकल नहीं होना सिद्ध कर दिया तो कुंजीलाल काफी किरकिरी हुई है और तभी से उन्होंने ठान लिया कि पत्रकारों को सबक सिखाकर रहेंगे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी सरकार को रिपीट कराने के लिए जी जान से जुटे हैं। हाल ही उन्होंने आगामी बजट में सभी वर्गों के लिए राहत भरी घोषणाएं करने के इरादे भी जताए हैं। गहलोत ने तो नवम्बर, 22 में नायला योजना के आवंटियों से मिलकर कह दिया था कि वे उनकी योजना के गतिरोध को दूर करेंगे। कुंजीलाल मीणा को अच्छे से पता है कि पिछली गहलोत सरकार में बनी पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला के 571 आवंटी पत्रकार 27 दिन से रोज मुख्यमंत्री निवास पर जा रहे हैं और अन्याय के खिलाफ हर स्तर पर लड़ने को उतारू है, इसीलिए वे चाहते हैं कि कोर्ट के निर्णय की आड़ में इस योजना का निरस्त करा कर नई योजना की तैयारी शुरू करा दी जाए। इससे 571 आवंटी पत्रकार तो सरकार के विरोध में उतरेंगे ही और प्रस्तावित नई पत्रकार आवास योजना भी कुछ माह बाद चुनाव आचार संहिता की चपेट में आ ही जाएगी। जब साल 2010 में लिए पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला के आवेदनों में से 571 पत्रकारों का चयन करने में ईमानदार और जिम्मेदार लोगों को साढ़े तीन साल लगे थे और अप्रेल, 2013 में लॉटरी हो पाई थी। उनके समिति अध्यक्ष रहते साल भर में ही कुछ नहीं हो पाया। तो अब अगले छह माह में क्या हो पाएगा।
कुंजीलाल तो पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला के आवंटियों से यह भी कह चुके हैं कि उन्हें कोर्ट में ही जाना चाहिए। इसलिए वे ये भी जानते हैं कि अगर पुरानी योजना को निरस्त करेंगे तो निश्चित ही आवंटी कोर्ट की शरण लेंगे और निश्चित ही गहलोत में आस्था रखकर उनके निवास पर पहुंच रहे पत्रकार उनके खिलाफ होंगे।
अपने विधायक बनने की चाह और भाजपा के टिकट प्रेम में कुंजीलाल न जाने कितने पत्रकारों के आवास के सपनों को रौंदेंगे। नए पत्रकारों के लिए नई आवास योजना लाने के लिए जिम्मेदार कुंजीलाल उनके सपनों पर तो लगभग पानी फेर चुके हैं। अब साल 2013 की बसी नायला योजना को भी उधेड़कर 571 आवंटी पत्रकारों को भी व्यक्तिगत क्षति पहुंचाने को आतुर हैं। पत्रकार आवास समिति की दुर्दशा तो इनकी प्रशासनिक क्षमताओं की महज बानगी है, यूडीएच और अन्य विभागों में इनके कारनामे निश्चित ही धमाकेदार ही होंगे। 571 पत्रकार इन धमाकों की खोजबीन के लिए भी तैयार हैं।
Comments