आंकड़ों के मायाजाल से लुट रही देश की जनता — गहलोत

 आंकड़ों के मायाजाल से लुट रही देश की जनता — गहलोत 

डॉ. प्रदीप चतुर्वेदी की कलम से।

छोटा अखबार।

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में राज्यों को वैट कम करने की प्रधानमंत्री की सलाह पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान सामने आया है। 


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने आज मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में बीजेपी शासित भोपाल को ये संदेश देने के लिए जयपुर का नाम लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि कोविड को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ की गई बैठक में नरेन्द्र मोदी ने आक्षेप लगाया कि केन्द्र सरकार की ओर से एक्साइज ड्यूटी में कटौती की गई परन्तु कई राज्यों ने वैट कम नहीं किए जिससे जनता को लाभ नहीं मिला। प्रधानमंत्री ने जयपुर का नाम तो लिया परन्तु वो संदेश बीजेपी शासित राज्यों को ही देना चाह रहे थे क्योंकि आज भी भोपाल में पेट्रोल एवं डीजल की कीमतें जयपुर से अधिक हैं। संभवत: भूलवश उन्होंने भोपाल को जयपुर बोल दिया।

सीएम गहलोत ने कहा है कि राजस्थान सरकार ने 29 जनवरी 2021 को पेट्रोल एवं डीजल पर 2 प्रतिशत वैट कम किया था जबकि उस समय केन्द्र ने एक्साइज ड्यूटी में कोई कमी नहीं की थी | केन्द्र सरकार ने तो इसके 2 दिन बाद पेश किए गए 2021-22 के बजट में डीजल पर 4 रुपये एवं पेट्रोल पर 2.5 रुपये प्रति लीटर का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डवलपमेंट नाम से नया सेस लगा दिया।  इससे राजस्थान की जनता को 2 प्रतिशत वैट कम करने का लाभ नहीं मिल पाया।

4 नवंबर 2021 को केन्द्र सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपये एवं डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी में कमी की थी जबकि कोविड लॉकडाउन के दौरान मई, 2020 में केन्द्र। सरकार ने पेट्रोल पर 10 रुपये एवं डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी यानी जितनी एक्साइज ड्यूटी कोविड में बढ़ाई गई, उसको भी पूरा कम नहीं किया गया। राज्यों का वैट, केन्द्र की एक्साइज ड्यूटी के ऊपर लगता है यानी एक्साइज ड्यूटी कम करने से वैट स्वत: ही कम हो जाता है। इस कारण से 4 नवंबर 2021 को एक्साइज ड्यूटी कम होने से राजस्थान सरकार का पेट्रोल पर 1.80 रुपये प्रति लीटर एवं डीजल पर 2.60 रुपये प्रति लीटर वैट स्वत: कम हो गया। आमजन को राहत देने के लिए प्रदेश सरकार ने 17 नवंबर 2021 पेट्रोल पर 4.96 प्रतिशत एवं डीजल पर 6.70 प्रतिशत वैट और कम किया। तीनों बार की गई इस कमी से प्रतिवर्ष करीब 6300 करोड़ रुपये की राजस्व हानि हुई परन्तु पीएम ने कर्नाटक के 6000 करोड़ एवं गुजरात के 3500-4000 करोड़ की राजस्व हानि का ही जिक्र किया।  इन दोनों राज्यों का जिक्र संभवत: वहां आ रहे विधानसभा चुनावों को देखते हुए किया होगा।

प्रधानमंत्री ने राज्यों के वैट की बात की परन्तु केन्द्र सरकार के एक्साइज की जानकारी नहीं दी । मई 2014 में जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब पेट्रोल पर प्रति लीटर 9.20 रुपये एवं डीजल पर 3.46 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगती थी परन्तु आज पेट्रोल पर 27.90 रुपये प्रति लीटर एवं डीजल पर 21.80 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगती है।  यूपीए सरकार के समय राज्यों को एक्साइज ड्यूटी में से हिस्सा मिलता था परन्तु अब राज्यों को मिलने वाला हिस्सा लगातार कम होकर महज कुछ पैसे प्रति लीटर रह गया है इसलिए राज्य अपना वैट बढ़ाने के लिए मजबूर हुए हैं।

केन्द्र सरकार ने 8 सालों में एक्साइज ड्यूटी से करीब 26 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है। यह देश के इतिहास में किसी भी सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाकर अर्जित की गई सर्वाधिक धनराशि है। मोदी सरकार के कार्यकाल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें औसतन 61 डॉलर प्रति बैरल रही हैं तब भी पेट्रोल 110 रुपये एवं डीजल 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक मूल्य पर बिक रहा है जबकि यूपीए सरकार के कार्यकाल में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक रहे तब भी आमजन के हित को देखते हुए पेट्रोल 70 रुपये एवं डीजल 50 रुपये लीटर से अधिक महंगा नहीं रहा।



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