सामाजिक भूमिका निभाने में वकील सबसे ज्यादा विफल रहे हैं —दवे
सामाजिक भूमिका निभाने में वकील सबसे ज्यादा विफल रहे हैं —दवे
छोटा अखबार।
न्यायपालिका में हुए अतिक्रमणों पर लगातार नजर रखने में बेंच और बार अपनी भूमिका निभा पाने में विफल रहे हैं। अपनी सामाजिक भूमिका निभाने में वकील सबसे ज्यादा विफल रहे हैं। मुझे यह कहते हुए खेद है कि हमारे न्यायाधीश न्याय प्रशासन में अपनी अंतरात्मा की आवाज को भूल गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने मानवाधिकार वकील गिरीश पाटे की पुण्यतिथि के मौके पर ऑनलाइन बोलते हुये कहा कि न्यायपालिका में हुए अतिक्रमणों पर लगातार नजर रखने में बेंच और बार अपनी भूमिका निभा पाने में विफल रहे हैं। अपनी सामाजिक भूमिका निभाने में वकील सबसे ज्यादा विफल रहे हैं। मुझे यह कहते हुए खेद है कि हमारे न्यायाधीश न्याय प्रशासन में अपनी अंतरात्मा की आवाज को भूल गए हैं। उन्हें अपने कर्तव्यों के निर्वहन में हर सेकेंड याद रखना चाहिए।
समचार सूत्रों के अनुसार दवे ने कहा था कि महात्मा गांधी ने कहा था कि कानून की अदालत से बड़ी एक अदालत है, वो है अंतरात्मा की अदालत। दवे ने साफ कहा कि भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली अमीरों और शक्तिशाली लोगों द्वारा बंधक बना ली गई है। उन्होने यह भी कहा था कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता न केवल बाहर से प्रभावित हुई है बल्कि यह भीतर से भी खत्म हो गई है। 1993 से बड़े पैमाने पर स्वतंत्र जजों की नियुक्ति नहीं करके कॉलेजियम प्रणाली ने न्याय, संविधान और राष्ट्र के प्रशासन का बहुत बड़ा नुकसान किया है। कानून का शासन खतरे में हैं। पिछले 30-35 साल में जिस तरह की (न्यायिक) नियुक्तियां की गई हैं, उन्होंने बहुत कुछ अधूरा छोड़ दिया है। जिससे संस्थान को बड़ी क्षति पहुंची है। वे न्यायाधीश कहां हैं, जो आज के राजनीतिक दबाव को झेलने में सक्षम हैं।
दवे ने कहा है कि प्रवासी श्रमिकों की मदद करने के लिए 30 मार्च 2020 को एक याचिका दायर की गई थी और अगले दिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को एक ‘प्रमाण पत्र’ दे दिया कि प्रवासी संकट खत्म हो गया है।
उन का कहना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट के जज किसी राजनीतिक नेता की प्रशंसा करते हैं तो वे अधीनस्थ न्यायालयों और उच्च न्यायालयों को क्या संदेश देते हैं? इसका केवल यही संदेह होता है कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के खिलाफ मामले तय न करें। कार्यपालिका के पक्ष में जाने के लिए जज कानून के परे जा चुके हैं।
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