राजस्थान बीमारू प्रदेश नहीं रहा —मुख्यमंत्री
राजस्थान बीमारू प्रदेश नहीं रहा —मुख्यमंत्री
छोटा अखबार।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोविड-19 महामारी की विषम परिस्थितियों में भी प्रदेश के सामाजिक और आर्थिक विकास को बनाए रखना चुनौती है। हमारा प्रयास है कि विशेषज्ञों की राय के आधार पर आर्थिक सुधार और संसाधनों का समुचित उपयोग कर राजस्थान को सुशासन के एक मॉडल के रूप में स्थापित किया जाए। मुख्यमंत्री आर्थिक सुधार सलाहकार परिषद का गठन इस दिशा में अहम कदम है।
गहलोत गुरूवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मुख्यमंत्री आर्थिक सुधार सलाहकार परिषद की पहली बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बीते कुछ समय में आर्थिक मंदी, नोटबंदी, जीएसटी संग्रहण में कमी तथा कोरोना महामारी से उपजे आर्थिक संकट ने हमें अवसर दिया है कि सतत विकास के लिए हम आर्थिक सुधार करने के साथ ही गवर्नेंस के मॉडल में भी बदलाव लाएं। बीते कुछ समय में राजस्थान पहले जैसा बीमारू प्रदेश नहीं रहा है। प्रदेश में लगातार आधारभूत ढांचा मजबूत हुआ है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, ऊर्जा, उद्योग आदि क्षेत्रों में राजस्थान तेजी से आगे बढ़ा है। विकास की इस गति को आगे भी बरकरार रखने के लिए जरूरी है कि इच्छाशक्ति के साथ मजबूत फैसले लिए जाएं, जिनसे राजस्थान की तस्वीर बदल सके।
गहलोत ने कहा कि रोजगार के अवसर पैदा करने, ऑर्गेनिक खेती, गरीब बच्चों तक डिजिटल शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने, चिकित्सा सेवाओं के विस्तार, पर्यटन तथा सामाजिक सुरक्षा आदि क्षेत्रों में हमें आगे बढ़ने की जरूरत है। इसके साथ ही हमारा राजकोषीय प्रबंधन कैसे बेहतर हो, यह हमारी प्राथमिकता में है। हमारा प्रयास है कि कुशल वित्तीय प्रबंधन कर हम राजस्थान को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएं ताकि हमारा प्रदेश विकास के पटरी पर तेजी से दौड़ सके।
परिषद के सदस्य उद्योगपति एलएन मित्तल ने राजस्थान के विकास के लिए इस नवाचार का स्वागत करते हुए कहा कि कोरोना जैसे मुश्किल दौर में भी राजस्थान का प्रबंधन शानदार रहा है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन एजुकेशन की दिशा में ट्रिपल आईटी के विशेषज्ञों के अनुभव का उपयोग कर सकती है। उन्होंने राज्य सरकार की सोलर एवं विंड एनर्जी पॉलिसी का स्वागत करते हुए कहा कि उनका समूह इस क्षेत्र में राजस्थान में निवेश करेगा।
परिषद के अन्य सदस्यों ने अपने—अपने विचार रखे जिससे राजस्थान की अर्थव्यवस्था मजबूत बन के जैसे एमएसएमई सेक्टर एवं हस्तशिल्प उद्योग को बढ़ावा देना, प्रदेश में फार्मा उद्योग को बढ़ाने, जेएलएफ की तर्ज पर मेडिकल फेस्टीवल आयोजित किए जाये, चिकित्सा क्षेत्र में टेलीमेडिसिन को बढ़ावा देने एवं नर्सिंग शिक्षा के विस्तार पर जोर दिया जाये, कृषि के क्षेत्र में राजस्थान में व्यापक संभावनाओं के दृष्टिगत पानी, पशुधन और किसान केंद्रीत कार्यक्रमों को प्रमुखता देने की बात कही। महिला स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने के लिए माइक्रो फाइनेंस से जोड़ने का भी सुझाव दिया।
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