जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए आधार नंबर अनिवार्य नहीं —रजिस्ट्रार जनरल
जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए आधार नंबर अनिवार्य नहीं —रजिस्ट्रार जनरल
छोटा अखबार।
"देश में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ्स एंड डेथ्स (आरबीडी) एक्ट, 1969 के प्रावधानों के तहत किया जाता है और आरबीडी एक्ट में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है, जो किसी व्यक्ति के जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के उद्देश्य से व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए आधार के इस्तेमाल की अनुमति प्रदान करता है। आधार के इस प्रकार के इस्तेमाल के लिए कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए धारा 57 (आधार का सत्यापन) यहां लागू नहीं होती है। इसलिए, जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए आधार अनिवार्य नहीं है।"
भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने आंध्र प्रदेश के अनिल कुमार रजागिरि की ओर से सूचना का अधिकार के तहत मांगी जानकारी के जवाब में स्पष्ट कहा है कि जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए आधार नंबर अनिवार्य नहीं है। रजागिरि ने सरकार से पूछा था कि क्या मृत्यु पंजीकरण के लिए आधार जरूरी है या नहीं? गृह मंत्रालय ने तीन अप्रैल 2019 के सर्कुलर का हवाला देते बताया कि,
"देश में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ्स एंड डेथ्स (आरबीडी) एक्ट, 1969 के प्रावधानों के तहत किया जाता है और आरबीडी एक्ट में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है, जो किसी व्यक्ति के जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के उद्देश्य से व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए आधार के इस्तेमाल की अनुमति प्रदान करता है। आधार के इस प्रकार के इस्तेमाल के लिए कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए धारा 57 (आधार का सत्यापन) यहां लागू नहीं होती है। इसलिए, जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए आधार अनिवार्य नहीं है।"
मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट अवगत कराया है कि आवेदनकर्ता जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए व्यक्तिगत पहचान स्थापित करने के लिए मान्य दस्तावेजों में से एक के तौर पर आधार नंबर या एनरॉलमेंट आईडी नंबर की एक प्रति स्वेच्छा से उपलब्ध करा सकता है। एसी स्थिति में पंजीकरण अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि आधार नंबर के पहले आठ अंक काली स्याही से कवर कर दिये गये है। सर्कुलर में साफ लिखा है कि,
"किसी भी हाल में आधार नंबर न तो डाटाबेस में स्टोर किया जायेगा, न ही किसी दस्तावेज पर प्रिंट किया जायेगा। यदि आवश्यकता हुई तो आधार नंबर के पहले चार अंक ही प्रिंट किये जा सकते हैं।"
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