व्यंग्य संग्रह 'बहुमत की बकरी' उपलब्ध है आपके लिए

व्यंग्य संग्रह 'बहुमत की बकरी' उपलब्ध है आपके लिए


छोटा अखबार।
व्यंग्यकार प्रभात गोस्वामी के पहले व्यंग्य संग्रह 'बहुमत की बकरी' अब आपके लिये उपलब्ध है। 128 पृष्ठ के इस व्यंग्य संग्रह में कुल 49 व्यंग्य संकलित किये गए हैं। संग्रह की भूमिका देश के सुपरिचित कवि, व्यंग्यकार और नेशनल बुक ट्रस्ट, दिल्ली के संपादक डॉ लालित्य ललित ने लिखी है। निखिल प्रकाशन समूह, आगरा ने इसका प्रकाशन किया है। 



व्यंग्य जगत के लोगों का मानना है कि व्यंग्यकारों ने सामाजिक और राजनीतिक विसंगतियों, विडम्बनाओं पर व्यंग्य के माध्यम से गहरी चोट कीं हैं। व्यंग्य का चुटीलापन व्यक्ति के चित्त सबसे जल्दी प्रभावित करता है और इसकी प्रतिक्रिया भी तुरंत होती है। 
व्यंग्य जगत का कहना है कि बहुमत की बकरी जैसे अनूठे शीर्षक वाले अपने पहले व्यंग्य संग्रह में प्रभात गोस्वामी ने हमारे परिवेश के बहुलांश को अपने व्यंग्य लेखों की परिधि में समेट लिया है। गोस्वामी का यह पहला संग्रह इस बात की ताईद करता है कि व्यंग्य स्थितियों में नहीं, देखने वाले की नज़रों में होता है।
'बहुमत की बकरी', व्यंग्य संग्रह पर वरिष्ठ व्यंग्यकार, पत्रकार डॉ यश गोयल ने कहा कि सामाजिक,आर्थिक, राजनीतिक और पारिवारिक विषयों पर तंज में कांटे सी चुभन है जो व्यक्ति को दर्द देती है पर उसे सँभलने का मौका भी देती है। छुपी हुई सच्चाई को सहजता से उजागर करने में व्यंग्य के नश्तर बहुत कारगर होते हैं। गोयल ने कहा कि 'बहुमत की बकरी', व्यंग्य संग्रह में यही भाव प्रकट होते हैं। किसी भी विषय को इंगित कर उसमें पैनेपन का अंदाज़ा पाठक इस बात से लगा सकता है कि उसे यह लगता है की यह घटना उसी के साथ बीती हुई है। जब व्यंग्य में लेखक का कथन पाठक को अपना-सा लगे तो ये उसके 



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