यूपी में आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून 1966 लागू

यूपी में आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून 1966 लागू 


छोटा अखबार।


एस्मा संसद में पारित अधिनियम है। इस अधिनियम का प्रयोग देश में सर्व प्रथम 1968 में किया गया था। यह कानून मुश्किलों के बीच कर्मचारियों की हड़ताल रोकने के लिए बनाया गया था। इस का प्रयोग अधिकतम छह माह के लिए किया जा सकता है। कानून के अनुसार कोई कर्मचारी छुट्टी पर या फिर हड़ताल पर जाता है तो उनका यह कृत्य अवैध और दंडनीय की श्रेणी में आता है। इस कानून का उल्लंघन करने पर एक साल तक की जेल या 1,000 रुपये का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। एस्मा में पुलिस इस कानून के प्रावधानों का पालन नहीं करने वाले को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।


कोविड—19 महामारी को दखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में छह महीने के लिए आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लागू कर दिया है। इस कानून के अनुसार प्रदेश में सरकारी सेवाओं, निगमों और स्थानीय प्राधिकरणों में कार्यरत कर्मचारी छह महीने तक हड़ताल नहीं कर सकते है।



समाचार सूत्रों के अनुसार अतिरिक्त मुख्य सचिव कार्मिक ने 22 मई को जारकारी देते हुये बताया कि प्रदेश में एस्मा लागू कर दिया है और इस आशय का अधिसूचना जारी भी कर दी गई है। एस्मा लगाने से पहले राज्यपाल की अनुमती लेली गई थी।
जारी अधिसूचना के अनुसार आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून 1966 की धारा तीन की उपधारा (1) का प्रयोग करते हुए छह महीने की अवधि के लिए राज्य में हड़ताल पर प्रतिबंध लगा दिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के कार्यकलापों से संबंधित किसी लोक सेवा, राज्य सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण वाले किसी निगम या स्थानीय प्राधिकरण में हड़ताल पर अगले छह महीने के लिए पूर्ण प्रतिबंध कर दिया है।



समाचार सूत्रों के अनुसार श्रम संगठन सीटू ने यूपी में एस्मा लागू किए जाने को कर्मचारी और श्रमिक के खिलाप बताया है। सीटू के प्रदेश महासचिव प्रेमनाथ राय ने आरोप लगाते हुए कहा है कि राज्य सरकार श्रम कानूनों में बदलाव कर मजदूरों को गुलामी की ओर ले जाना चाहती है। काम के घंटे बढ़ाए जा रहे है। इससे मजदूरों में असंतोष बढ़ रहा है। कई संगठनों ने लॉकडाउन के नियमों के तहत ही विरोध किया। निर्देशों का उल्लंघन करते हुए तमाम पूंजीपतियों/मालिकों ने लॉकडाउन के समय का वेतन नहीं दिया। मजदूरों की छंटनी की गई है। उन्हें काम से निकाल दिया। उसे लेकर कुछ नहीं किया गया। कर्मचारी, शिक्षक और अन्य संगठनों ने काली पट्टी बांधकर काम करना शुरू कर दिया था। इससे घबराकर प्रदेश की योगी सरकार ने एस्मा कानून लागू कर दिया है।


जानकारी के लिए बता दे कि एस्मा संसद में पारित अधिनियम है। इस अधिनियम का प्रयोग देश में सर्व प्रथम 1968 में किया गया था। यह कानून मुश्किलों के बीच कर्मचारियों की हड़ताल रोकने के लिए बनाया गया था। इस का प्रयोग अधिकतम छह माह के लिए किया जा सकता है। कानून के अनुसार कोई कर्मचारी छुट्टी पर या फिर हड़ताल पर जाता है तो उनका यह कृत्य अवैध और दंडनीय की श्रेणी में आता है। इस कानून का उल्लंघन करने पर एक साल तक की जेल या 1,000 रुपये का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। एस्मा में पुलिस इस कानून के प्रावधानों का पालन नहीं करने वाले को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।



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