लॉकडाउन में घरेलू हिंसा की शिकायतें बढ़कर 257 हो गईं —राष्ट्रीय महिला आयोग

लॉकडाउन में घरेलू हिंसा की शिकायतें बढ़कर 257 हो गईं —राष्ट्रीय महिला आयोग


छोटा अखबार।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा और प्रताड़ना की घटनाएं बढ़ने पर चिंता जाहिर की है।



समाचार सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने बताया कि आयोग को अधिकतर रूप से ईमेल के जरिए शिकायतें मिल रही हैं। मार्च के पहले सप्ताह में आयोग को देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध की 116 शिकायतें मिली थीं। लॉकडाउन के दौरान 23 से 31 मार्च के दौरान घरेलू हिंसा की शिकायतें बढ़कर 257 हो गईं थी।



रेखा शर्मा के अनुसार आयोग में 24 मार्च से एक अप्रैल तक घरेलू हिंसा की 69 शिकायतें मिलीं और इसमें लगातार इजाफा होता रहा। मुझे भी सीधे ईमेल मिल रहे हैं। और कहा कि मुझे नैनीताल से एक ईमेल मिला ळै। मेल में एक महिला दिल्ली में अपने घर नहीं जा पा रही है और उसका पति उसे लगातार पीटता और प्रताड़ित करता है। उसने एक हॉस्टल में शरण ली हैं जहां वह लॉकडाउन के दौरान रह रही है। वह पुलिस के पास भी नहीं जाना चाहती क्योंकि उसका कहना है कि अगर पुलिस उसके पति को पकड़ लेती है तो उसे अपने सास-ससुर के पास रहना पड़ेगा और उसकी प्रताड़ना जारी रहेगी।बता दें कि पीड़ित महिलाएं विभिन्न राज्यों में आयोग के कार्यालयों में जाकर या डाक के जरिए, फोन कॉल, ऑनलाइन, ईमेल और अन्य सोशल मीडिया माध्यमों के जरिए शिकायतें दर्ज करा सकती हैं। लॉकडाउन के तहत पीड़ितों के लिए शिकायत दर्ज कराने के सिर्फ तीन तरीके हैं। पहला सोशल मीडिया, दूसरा ईमेल और तीसरा ऑनलाइन पंजीकरण।



आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के 69 मामले, गरिमा के साथ जीने के 77 मामले, विवाहित महिलाओं की प्रताड़ना के 15 मामले, दहेज की वजह से हत्याओं के दो मामले, बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के 13 मामले दर्ज हुए हैंं। घरेलू हिंसा और प्रताड़ना की सर्वाधिक 90 शिकायतें उत्तर प्रदेश से आई हैंं दिल्ली से 37, बिहार से 18, मध्य प्रदेश से 11 और महाराष्ट्र से 18 शिकायतें आई हैं। लॉकडाउन से पहले उत्तर प्रदेश से समान अवधि में 36, दिल्ली से 16, बिहार से आठ, मध्य प्रदेश से चार और महाराष्ट्र से पांच शिकायतें दर्ज हुई थीं।
आयोग के अधिका​रियों का कहना है कि हम बहुत ही छोटी-सी वैधानिक संस्था है इसलिए महिलाओं के खिलाफ अपराधों की अधिकतर शिकायतें पुलिस के पास आती हैं। हमारे पास बहुत थोड़ी शिकायतें आती हैं। पीड़िताएं हमें बात रही हैं कि वे लॉकडाउन की वजह से पुलिस के पास नहीं जा पा रही हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध विशेष रूप से घरेलू प्रताड़ना के मामलों में बढ़ोतरी बहुत ही चिंताजनक रुझान है।


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