शेयर बाजार में भारी गिरावट
शेयर बाजार में भारी गिरावट
छोटा अखबार।
आज 9 मार्च को एशिया में शेयर बाज़ार खुलते ही ओंधे मुंह नजर आए। इसका कारण कच्चे तेल के दामों में आई भारी गिरावट को माना जा रहा है। साल 2008 के बाद शेयर बाज़ारों की सबसे बड़ी गिरावट है।
भारतीय सूचकांक सेंसेक्स भी सोमवार को शुरुआती घंटों में 1600 अंक तक गिर गया। जबकि निफ्टी में 453 अंकों की गिरावट दिखी। दोपहर एक बजे तक भारतीय बाज़ार में 2000 से अधिक अंकों की गिरावट देखी गई और निफ़्टी में 547 अंकों की गिरावट देखी आई। तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक और रूस के बीच कच्चे तेल को लेकर प्रतिद्वंदिता शुरू होने के डर ने बाज़ारों को हिला दिया है।
1991 में हुए खाड़ी युद्ध के बाद से कच्चे तेल के दामों में आई सबसे बड़ी गिरावट है। इसका असर ऊर्जा कंपनियों के शेयर के दामों पर भी हुआ है।
चीन से मिले नए कोरोना वायरस के दुनियाभर में फैलने के बाद तेल की मांग में कमी आई है। कोरोना वायरस का सबसे ज़्यादा असर ट्रेवल कंपनियों पर हुआ है।
रूस से समझौता नहीं कर सका ओपेकतेल उत्पादक देशों का समूह ओपेक तेल के उत्पादन को कम करने के मुद्दे पर रूस से समझौता नहीं कर सका है।ओपेक चाहता था कि रूस अपने तेल उत्पादन में कमी कर दे ताकि कच्चे तेल के दाम स्थिर रहें।
वहीं रूस ने इसे लेकर कोई समझौता नहीं किया है जिसकी वजह से तेल के दाम लगातार गिर रहे हैं।
इसका असर सऊदी अरब के बाज़ार पर भी हुआ है। सऊदी की सरकारी तेल कंपनी आरामको के शेयर एक समय अपनी शुरुआती क़ीमत से भी नीचे चले गए थे। कोरोना वायरस के चलते तेल के दामों में गिरावट की वजह से आरामको के शेयर पहले ही 11 प्रतिशत तक गिर गए हैं। सऊदी अरब और रूस के बीच तेल उत्पादन प्रतिद्ंवदिता शुरू होने का असर कच्चे तेल के दामों पर होना तय है। सऊदी पहले ही कह चुका है कि वह अप्रैल में अपने तेल उत्पादन को एक करोड़ बैरल प्रतिदिन तक ले जाने की घोषणा कर चुका है।
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