फिक्स चार्ज क्यों वसूला जा रहा है? बिजली कंपनियों के पास जवाब नहीं है

फिक्स चार्ज क्यों वसूला जा रहा है? बिजली कंपनियों के पास जवाब नहीं है


छोटा अखबार।
राजस्थान में बिजली कंपनियों की ओर से बिजली दरों में की गई बढ़ोतरी उपभेक्ताओं की समझ से परे है, जो की इनकी जेब पर भारी पड़ रहे हैं। आंकड़ों के खेल में कई तरह के पेंच है, जो उपभेक्ताओं की समझ में नहीं आने के कारण बड़ी दरों पर बात नहीं हो पाई है।लेकिन मामले में रिटायर्ड इंजीनियरों ने जनहित में मुद्दा उठाते हुए विनियामक आयोग में रिव्यू अपील दायर की है। 



समाचार सूत्रों के अनुसार जनहित का मुद्दा उठाने वाले विशेषज्ञों का सवाल है कि जब बिजली आपूर्ति पर होने वाले सभी तरह के खर्च प्रति यूनिट की रेट में जोड़कर दरें बढ़ाई गई है तो फिर फिक्स चार्ज क्यों वसूला जा रहा है? इस सवाल का बिजली कंपनियों के पास कोई जवाब  नहीं है।



राजस्थान विद्युत मण्डल रिटायर्ड अभियंता और अधिकारी जन कल्याण ट्रस्ट, समता पॉवर और रीको इंडस्ट्रियल एरिया वापी(दौसा) की ओर से हाल ही में बढ़ी बिजली दरों के विरुद्ध रिव्यू याचिका नियामक आयोग में दायर की गई है। बिजली बिलों में फिक्स चार्ज की गैर आवश्यकता पर भी नियामक आयोग चुप रहा और दरें बढ़ाने की स्वीकृति दी। इसको चुनौती देते हुए विद्युत वितरण की लाईनों का अनधिकृत उपयोग को भी नियामक आयोग की ओर से नजरअन्दाज करने का मुद्दा उठाया है। सार्वजनिक सुनवाई के समय भी यह मुद्दा उठाया गया था।



सूत्रों का यह भी कहना है कि याचिका के अन्य पहलुओं में यह कानूनी मुद्दा भी उठाया गया है कि जब बिजली कंपनियों ने अपनी याचिकाएं नवम्बर-2018 में दाखिल कर दी थी, तब उन पर सुनवाई नहीं करके अगस्त-2019 में दुबार याचिकाएं दायर करवाना कानून सम्मत नहीं है। इस कारण नियामक आयोग का विद्युत दर बढ़ाने का आदेश गैर-कानूनी है।


 


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