महात्मा गांधी की भूख हड़ताल और सत्याग्रह ड्रामा था — भाजपा सांसद

महात्मा गांधी की भूख हड़ताल और सत्याग्रह ड्रामा था — भाजपा सांसद


छोटा अखबार।
देश की राजनीति में आपत्तिजनक बयानों का नाता हमेशा से रहा है। विवादों में रहने वाले भाजपा सांसद अनंत कुमार हेगड़े ने इस बार महात्मा गांधी पर टिप्पणी करते हुए स्वतंत्रता आंदोलन में उनके संघर्ष को ड्रामा बताया है। यह सवाल भी किया कि भारत में ऐसे लोगों को ‘महात्मा’ कैसे कहा जाता है।


समाचार सूत्रों के अनुसार बेंगलुरु में शनिवार 1 फरवरी 2020 को एक रैली को संबोधित करते हुए हेगड़े ने कहा कि पूरे स्वतंत्रता आंदोलन को अंग्रेजों की सहमति और समर्थन के साथ स्टेज किया गया। इनमें से किसी भी तथाकथित नेता को पुलिस ने नहीं पीटा। इनका स्वतंत्रता आंदोलन एक बड़ा ड्रामा था। इसका मंचन अंग्रेजों की मंजूरी के साथ किया गया। यह वास्तविक लड़ाई नहीं थी। महात्मा गांधी की भूख हड़ताल और सत्याग्रह भी ड्रामा था। 



उन्होंने कहा कि कांग्रेस का समर्थन करने वाले लोगों का कहना है कि भारत को भूख हड़ताल और सत्याग्रह की वजह से आजादी मिली है। यह सच नहीं है। अंग्रेज सत्याग्रह की वजह से देश छोड़कर नहीं गए थे। अंग्रेजों ने परेशान होकर आजादी दी थी। इतिहास पढ़ने पर मेरा खून खौलता है। ऐसे लोग हमारे देश में महात्मा बन जाते हैं।
बतादें कुछ महीने पहले उन्होंने एक बयान देकर अपनी ही पार्टी भाजपा के लिए मुसिबत खड़ी कर दी थी। उन्होंने दावा किया था कि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस ने रात में जिस तरह एनसीपी नेता अजित पवार को मिलाकर सुबह राज्य में सरकार बनाई थी, उसके पीछे 40 हजार करोड़ रुपया था।
वहीं पिछले साल जनवरी में केंद्रीय मंत्री के पद पर रहते हुए अनंत कुमार हेगड़े ने मॉरल पुलिसिंग के काम को आगे बढ़ाने के लिए हिंदू युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि हिंदू लड़कियों के साथ भागने वाले लोगों का हाथ काट देना चाहिए।
इन पर पहले भी इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और भड़काऊ भाषण देने के लिए कार्यवाई की जा चुकी है। मार्च 2016 में हेगड़े ने अपने बयान में कहा था कि जब तक इस दुनिया में इस्लाम है तब तक आतंकवाद भी रहेगा।
वहीं एक ओर दिसंबर 2017 में उन्होंने संसद में अपने बयान को लेकर माफी भी मांगी थी।हंगड़े ने यह कहकर अच्छा खासा विवाद खड़ा कर दिया था कि जो लोग खुद को धर्मनिरपेक्ष और बुद्धिजीवी मानते हैं, उनकी अपनी खुद की कोई पहचान नहीं होती। वे अपनी जड़ों से अनजान होते हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि भाजपा को संविधान से धर्मनिरपेक्ष शब्द निकाल देना चाहिए। 


 


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