गांधीजी को भगत सिंह से दिक्कत क्यों थी?
गांधीजी को भगत सिंह से दिक्कत क्यों थी?
छोटा अखबार।
भारत सरकार के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने गुजरात यूनिवर्सिटी में कहा कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों को बचाने का प्रयास नहीं किया और आरोप लगाया कि भारत में स्वतंत्रता के इस वैकल्पिक इतिहास को दबाने के लिए क्रांतिकारियों की कहानी को जानबूझकर तोड़ा मरोड़ा गया था।
खबर सूत्रों के अनुसार गुजरात यूनिवर्सिटी में भाषण देते हुए सान्याल ने कहा कि यह कहानी भारत की स्थापित राजनीति और स्वतंत्रता के बाद अंग्रेजों दोनों के लिए असुविधाजनक थी। सान्याल ने जोर देते हुए कहा कि क्रांतिकारियों के इस नजरिए को स्कूली पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाना चाहिए। यूनिवर्सिटी के छात्रों और फैकल्टी से कहा कि यह कहना मुश्किल है कि क्या महात्मा गांधी भगत सिंह या किसी अन्य क्रांतिकारी को फांसी से बचाने में सफल होते क्योंकि तथ्य मौजूद नहीं है। लेकिन उन्होंने इसका बहुत ज्यादा प्रयास नहीं किया।
गांधी हिंसा को लेकर पर्याप्त खुश थे। अगर प्रथम विश्व युद्ध के लिए वे भारतीय सैनिकों को ब्रिटिश सेना में भेजने को तैयार थे तब उन्हें उसी तरह का काम करने को लेकर भगत सिंह से दिक्कत क्यों थी? गांधीजी ने खिलाफत आंदोलन के बाद मालाबार विद्रोह की हिंसा को कम करने की कोशिश की, जो एक तरह से एक ऐसा आंदोलन था जिसका नेतृत्व खुद गांधीजी ने किया था। उस पृष्ठभूमि को देखते हुए, क्रांतिकारियों ने माना कि गांधीजी ने भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों को बचाने का अधिक प्रयास नहीं किया।
उन्होंने आयरिश गणतंत्र का उदाहरण दिया जो एक लोकतांत्रिक गणराज्य था जहां सशस्त्र विद्रोह से स्वतंत्रता मिली लेकिन वह फासीवादी नहीं बना। इसलिए स्वतंत्रता के बाद भारत के इस दिशा में जाने का कोई कारण नहीं था।
सान्याल ने कहा कि दुर्भाग्य से स्वतंत्रता से पहले ही अधिकतर क्रांतिकारी मारे जा चुके थे और क्रांतिकारी आंदोलन के केवल दो वरिष्ठ नेता श्रीअरबिंदो और सावरकर, बचे और दोनों आंदोलन के वास्तविक संस्थापक थे। भारत की आजादी की कहानी प्रतिरोध, दृढ़ता और अंततः रणनीति की एक अलग कहानी है, जिसे बार-बार आजमाया गया। आखिरकार अंग्रेजों को एहसास हुआ कि वे भारत पर नियंत्रण नहीं रख सकते हैं। यह वह बिंदु है जब भारत स्वतंत्र हुआ।
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