योगी आदित्यनाथ को अभिव्यक्ति की आज़ादी से डर लगता है
योगी आदित्यनाथ को अभिव्यक्ति की आज़ादी से डर लगता है
छोटा अखबार।
34 वर्षिय पूर्व भारतीय प्रशासनिक अधिकारी कन्नन गोपीनाथन पिछले साल तब चर्चा में आए, जब नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने का फ़ैसला लिया था। इसके विरोध में गोपीनाथन ने सात साल पुरानी अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि सरकारी अधिकारी होने के नाते वे अनुच्छेद 370 के हटाए जाने पर अपने विचार व्यक्त नहीं कर सकते हैं। इसी मजबूरी की वजह से उन्होंने इस्तीफ़ा दिया है।
इलाहाबाद के सरदार पटेल संस्थान में नागरिकता बचाओ, संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ' के नाम से आयोजित एक विचार गोष्ठी में कन्नन गोपीनाथन अपने विचार रखने वाले थे। यह आयोजन ऑल इंडिया पीपल्स फोरम की ओर से आयोजित था। लेकिन ज़िला प्रशासन ने कन्नन गोपीनाथन को एयरपोर्ट से ही बाहर नहीं निकलने दिया। यह जानकारी ख़ुद गोपीनाथन ने ट्वीट कर दी। विचार गोष्ठी के आयोजक डॉ. कमल उसरी ने कहा कि हम लोगों ने इस आयोजन की कई दिनों से तैयारी करके रखी थी। एक दिन पहले ज़िला प्रशासन को भी इस आयोजन की जानकारी दी थी। गोपीनाथन इसमें बोलने के लिए इलाहाबाद आए थे। लेकिन उन्हें बोलने नहीं दिया गया। कन्नन गोपीनाथन ने ट्वीट पर जानकारी दी कि वे अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी जाएंगे। प्रधानमंत्री को टैग करते हुए लिखा कि सोमवार को नागरिकता संशोधन क़ानून पर चर्चा के लिए वाराणसी जाएंगे।
इस मामले में इलाहाबाद पुलिस अधीक्षक सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज का कहना है कि कन्नन गोपीनाथन जी को हम लोगों ने समझाया कि क़ानून-व्यवस्था के लिहाज़ से आपका वहां जाना संवेदनशील हो सकता है। वे ख़ुद नौकरशाह रहे हैं। उन्होंने हमलोगों की बातों को समझा और वापस लौट गए।
वहीं कन्नन गोपनाथन ने ट्वीट किया है कि उन्हें बोलने नहीं दिया गया और दिल्ली की फ़्लाइट में बिठा दिया गया। गोपीनाथन ने लिखा है कि इलाहाबाद एयरपोर्ट से बाहर निकलने की अनुमति नहीं मिली और दिल्ली की फ्लाइट में बिठाया गया। योगी आदित्यनाथ को अभिव्यक्ति की आज़ादी से डर लगता है। मैं फिर आऊंगा। यूपी पुलिस मेरे लिए पहले से बुकिंग करा कर रखे।
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