भारत में चंद्रयान-3, लागत 250 करोड़
भारत में चंद्रयान-3, लागत 250 करोड़
छोटा अखबार।
नए साल की शुरुआत पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस करते हुए इसरो प्रमुख के। सिवन ने कहा कि चंद्रमा के लिए भारत के तीसरे मिशन से जुड़े सभी काम बड़े आराम से हो रहे हैं।
सिवन ने पुष्टि की है कि चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 में लैंडर और रोवर होगा। उन्होंने कहा कि इस मिशन की लागत 250 करोड़ रुपये होगी।
भारत ने सितंबर 2019 में चंद्रयान-2 मिशन की शुरुआत की थी जिसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर पानी की खोज करना था। अभी तक इस प्रकार का कोई मिशन नहीं हुआ था। इसरो ने 2008 में लॉन्च किए अपने पहले चंद्रयान मिशन के दौरान उम्मीद जताई थी कि बर्फ़ के रूप में चांद पर पानी मौजूद है।
सिवन ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, "हम चंद्रयान-2 को लैंड नहीं करा पाए लेकिन हमने अच्छी प्रगति की। ऑर्बिटर अभी भी काम कर रहा है और वो अगले सात साल तक काम करेगा और विज्ञान से जुड़ा डाटा भेजेगा।
चंद्रमा पर आज तक सिर्फ़ अमरीका, रूस और चीन ही लैंडिंग करा पाए हैं। चीन का चांगए-4 पिछले साल चंद्रमा की नहीं दिखने वाली सतह पर उतरा था। वहीं, इसरायल के बेरेशीट अंतरिक्षयान ने अप्रैल 2019 में चंद्रमा पर उतरने की असफल कोशिश की थी। साथ ही इसरो प्रमुख ने भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' की जानकारी भी दी है। उन्होंने कहा कि इसरो इस पर 'अच्छी प्रगति' कर रहा है।
इस मिशन के चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया गया है जो इस महीने के आख़िर में रूस में प्रशिक्षण के लिए जाएंगे।2018 में सरकार ने कहा था कि गगनयान परियोजना पर 100 अरब रुपये से कम का ख़र्च आएगा। भारत अपने सस्ते उपग्रह प्रक्षेपण और अंतरिक्ष मिशनों के लिए जाना जाता है। भारत ने 2014 में मंगल के लिए मानव रहित मिशन की शुरुआत की थी जिसका ख़र्चा 7.4 करोड़ डॉलर आया था। सिवन ने बताया कि इसरो ने अपने दूसरे प्रक्षेपण स्थल के लिए भूमि अधिग्रहण का काम शुरू कर दिया है। यह दक्षिणी तट पर तमिलनाडु राज्य के थुथुकुडी में बनेगा।
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