आरओ से स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान — एनजीटी
आरओ से स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान — एनजीटी
छोटा अखबार।
एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के अनुसार जिसमें कहा गया था कि अगर टीडीएस 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, तो एक आरओ सिस्टम उपयोगी नहीं होगा।आरओ प्यूरिफायर के उपयोग को विनियमित करने के लिए एनजीटी ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह जहां पानी में कुल घुलनशील ठोस (टीडीएस) प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से कम है। वहां पर प्रतिबंध लगाए और दूषित जल के प्रभावों के बारे में जनता को जागरूक करें। टीडीएस इनऑर्गेनिक सॉल्ट्स के साथ-साथ कार्बनिक पदार्थों की छोटी मात्रा से बना होता है। डब्ल्यूएचओ के अध्ययन के अनुसार, 300 मिलीग्राम प्रति लीटर से नीचे का टीडीएस स्तर अच्छा माना जाता है। जबकि 900 मिलीग्राम प्रति लीटर खराब वहीं 1200 मिलीग्राम से ऊपर अस्वीकार्य है।
पर्यावरण मंत्रालय को बुधवार 15 जनवरी 2020 को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने को निर्देश दिया कि दो महीने में उन जगहों पर आरओ प्यूरीफायर को प्रतिबंधित करने की अधिसूचना जारी करे। जहां पानी में कुल घुलनशील ठोस प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से नीचे है।
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने कहा कि उसके आदेश के अनुपालन में हो रही देरी के कारण लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। आदेश का शीघ्र पालन होना चाहिए। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने एनजीटी के आदेश को लागू करने के लिए चार महीने का समय मांगा था। इस तथ्य के संदर्भ में कि पर्यावरण संरक्षण से जुड़े किसी भी मामले में त्वरित कदम उठाया जाना चाहिए। मसौदा अधिसूचना प्रसारित करने की अवधि या प्रतिक्रिया मंगाने का समय उतना ही लंबा होना चाहिए जितना प्रस्तावित है। इसे घटा कर दो महीने किया जा सकता है।
वहीं मंत्रालय ने कहा था कि एनजीटी के आदेश के प्रभावी पालन के लिए चार महीने की जरूरत है- दो महीने मसौदा प्रस्ताव के व्यापक प्रसारण के लिए जिससे टिप्पणियां आमंत्रित की जा सकें और दो महीने इन टिप्पणियों में आए सुझावों को शामिल करने तथा अधिसूचना को अंतिम रूप देने व विधि एवं न्याय मंत्रालय से मंजूरी हासिल करने के लिये।
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