पुरुषों को पिता बनने से रोकेगा इंजेक्शन

पुरुषों को पिता बनने से रोकेगा इंजेक्शन


छोटा अखबार।
भारतीय शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने दुनिया का पहला ऐसा इंजेक्शन बना लिया है, जो पुरुषों को पिता बनने से रोकेगा। इंजेक्शन 13 साल तक कॉन्ट्रासेप्टिव की तरह काम करेगा। शोधकर्ताओं को कहना है कि यह एक रिवर्सेवल दवा है यानी ज़रूरत पड़ने पर दूसरी दवा के ज़रिए पहले इंजेक्शन के प्रभाव को ख़त्म किया जा सकता है।


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इंजेक्शन को इंडियन कांउसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च ने विकसित किया है। वैज्ञानिक डॉक्टर आरएस शर्मा के अनुसार क्लीनिकल ट्रायल के लिए 25- 45 आयु के पुरुषों को चुना गया। इस शोध के लिए ऐसे पुरुषों को चुना गया जो स्वस्थ थे और जिनके कम से कम दो बच्चे थे। ये वो पुरुष थे जो अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे और नसबंदी करना चाह रहे थे। इन पुरुषों के साथ-साथ उनकी पत्नियों के भी पूरे टेस्ट किए गए जैसे हिमोग्राम, अल्ट्रासाउंड आदि। इसमें 700 लोग क्लीनिकल ट्रायल के लिए आए और केवल 315 ट्रायल के मानदंडो पर खरे उतर पाए। डॉ.शर्मा बताते हैं कि इस इंजेक्शन के लिए पांच राज्यों- दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू, पंजाब और राजस्थान में लोगों पर क्लीनिकल ट्रायल किए गए।



ट्रायल के लिए इन लोगों के समूह को अलग-अलग चरणों में इंजेक्शन दिए गए जैसे पहले चरण में 2008 में एक समूह के लोगों को इंजेक्शन दिया गया और उन पर 2017 तक नज़र रखी गई और दूसरे चरण में 2012 से लेकर 2017 तक ट्रायल हुए जिन पर जुलाई 2020 तक नज़र रखी जाएगी।


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डॉक्टर शर्मा बताते हैं कि ये इंजेक्शन सिर्फ़ एक बार दिया जाएगा और वे इसे 97.3 प्रतिशत प्रभावी बताते हैं। पुरुषों के अंडकोष की नलिका को बाहर निकाल कर उसकी ट्यूब में पॉलिमर का इंजेक्शन दिया जाएगा और फिर ये पॉलिमर स्पर्म की संख्या को कम करता चला जाएगा। इस इंजेक्शन के ट्रायल के दौरान कुछ साइड इफेक्ट या दुष्प्रभाव भी देखने को मिले जैसे स्क्रोटल में सूजन दिखाई दी लेकिन स्क्रोटल सपोर्ट देने के बाद वो ठीक हो गया वहीं कुछ पुरुषों को वहां गांठे बनीं लेकिन धीरे-धीरे कम होती गईं। डॉ. शर्मा बताते हैं कि इस इंजेक्शन पर आईसीएमआर 1984 से ही काम कर रहा था और इस इजेंक्शन में इस्तेमाल होने वाले पॉलिमर को प्रोफ़ेसर एसके गुहा ने विकसित किया है।



पॉलिमर हरी झंडी के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया या डीजीसीआई के पास गया हुआ है जिसके बाद ये फ़ैसला लिया जाएगा कि इसे कौन-सी कंपनी बनाएगी और कैसे ये लोगों तक पहुंचेगा। भारत उन पहले देशों में से एक था, जिसने साल 1952 में राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम की शुरुआत की थी। लेकिन भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ो पर नज़र डालें, तो जन्म को नियंत्रित करने के लिए गोलियां, कंडोम, नसबंदी जैसी विधियां परिवार नियोजन के लिए सबसे अधिक अपनाई जाती हैं।


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