प्रदेश में कृषक कल्याण कोष गठित
प्रदेश में कृषक कल्याण कोष गठित
छोटा अखबार।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंगलवार को राज्य सरकार का एक वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर किसान सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। गहलोत ने कहा कि जनता की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं का अहसास हमारी सरकार को है। हमारा पूरा प्रयास है कि जनता से किए वादों और उनकी उम्मीदों पर हम खरा उतरें। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसान भाइयों सहित समाज के सभी वर्गाें की खुशहाली के लिए हमने बीते एक साल में लगातार कल्याणकारी फैसले लिए हैं।
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मुख्यमंत्री ने एक हजार करोड़ के किसान कल्याण कोष का शुभारम्भ किया और राजस्थान कृषि प्रसंस्करण कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019 जारी की। प्रदेश के किसानों को खेती की आधुनिकतम तकनीक से जोड़ने के लिए उन्होंने कृषि ज्ञान धारा कार्यक्रम की शुरूआत की। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने एक ऎतिहासिक फैसला लिया जिसके तहत राज्य में फूड प्रोसेसिंग इकाई लगाने वाले किसानों को 10 हैक्टेयर भूमि तक लैण्ड यूज चेंज कराने की आवश्यकता नहीं होती है। काश्तकारों को उनकी उपज का पूरा दाम देने के लिए मूंग और मूंगफली की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के साथ ही हमारी सरकार हर संभव प्रयास कर रही है जिससे किसानों को खाद एवं बीज लेने में कोई परेशानी न आए। जैविक खेती, बीज उत्पादन, एग्री प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास है कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए गांवों का विकास भी मास्टर प्लान के अनुरूप हो। इसके लिए प्रत्येक गांव का मास्टर प्लान बने जिसमें स्कूल, अस्पताल, पार्क जैसी स्थानीय आवश्यकताओं का आकलन कर पहले से ही जमीन चिन्हित कर ली जाए। गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार ने पशुओं के लिए मुफ्त दवा योजना में दवाओं की संख्या बढ़ाई है। पशुपालकों को सम्बल देने के लिए प्रति लीटर दो रूपए का बोनस राज्य सरकार दे रही है। हमारा प्रयास रहेगा कि प्रत्येक पंचायत में पशु चिकित्सा उपकेन्द्र खोले जाएं। गहलोत ने प्रगतिशील किसानों से अपील की कि वे नई तकनीक के आधार पर उत्पादन बढ़ाने के अपने अनुभवों का लाभ दूसरे किसानों तक भी पहुंचाएं। बूंद-बूंद सिंचाई और फव्वारा सिंचाई पद्धति के उपयोग एवं कृषि उत्पादों की मार्केटिंग के गुर सिखाएं। उन्होेंने जनप्रतिनिधियों का भी आह्वान किया कि वे किसानों को कम पानी में ज्यादा फसल उत्पादन की तकनीक अपनाने के लिए पे्रेरित करें।
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