किस ओर जा रही है भारत की अर्थव्यवस्था
किस ओर जा रही है भारत की अर्थव्यवस्था
छोटा अखबार।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने अनुमानित जीडीपी की वृद्धि दर में एक बार फिर कटौती कर दी ! केंद्रीय बैंक ने अपनी मुद्रा नीति में वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी विकास दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है ! इससे पहले सरकारी एजेंसी सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑफ़िस (सीएसओ) ने भी बीते दिनों इस साल की दूसरी छमाही के लिए जीडीपी की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत बताई थी. अब आरबीआई ने इसका अनुमान 5 प्रतिशत लगाया है !
भारत की जीडीपी लगातार नीचे गिरती जा रही है ! अब रिज़र्व बैंक ने भी अपने अनुमान में इसे नीचे जाते हुए ही दर्शाया है. आख़िर क्या वजह है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर लगातार संकट के बादल मंडरा रहे हैं, क्या इसका संबंध वैश्विक मंदी से है और मोदी सरकार की आर्थिक नीति क्या मनमोहन सरकार से अलग है?
दुनिया के अलग-अलग देशों में एक तरह की अस्थिरता बनी हुई है. जैसे ब्रिटेन में ब्रेक्ज़िट की वजह से असमंजस की स्थिति बनी हुई है, चीन और अमरीका के बीच ट्रेड वॉर के हालात बने हुए हैं ! लेकिन इसे वैश्विक मंदी नहीं कहा जा सकता! पिछले दो साल में विश्व के बाज़ारों में निर्यात बढ़ रहा था और अच्छा विकास हो रहा था तब भी भारत में निर्यात नहीं बढ़ा ! ऐसे में वैश्विक मंदी की बात करना सिर्फ जनता को सहानुभूति देने के लिए ही है!
जैसे घर को चलाया जाता है, वैसे ही देश की अर्थव्यवस्था भी चलाई जाती है। आपकी आमदनी कितनी है, कितना खर्च कर रहे और कितनी बचत कर रहे हैं जिससे आप अपने भविष्य के खर्चों को चला पाएंगे !
लेकिन अगर आप आमदमी से ज़्यादा खर्च कर रहे हैं और उसके लिए कर्ज़ ले रहे हैं तो इससे कहीं ना कहीं आगे जाकर आपको तकलीफ हो सकती है।अर्थव्यवस्था को अच्छे तरीके से चलाने के लिए सरकार को अपने राजस्व और खर्चे के संतुलन को ठीक करना चाहिए।
यह संतुलन तभी होगा जब सरकार अपना फिज़ूलखर्च कम करेगी। सरकारें भी यह बात जानती है लेकिन वो अपने राजनीतिक लाभ को पूरा करने के लिए देश की अर्थव्यवस्था के बारे में नहीं सोचतीं।
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