बैंकों के लिए मुसीबत बना मुद्रा लोन

बैंकों के लिए मुसीबत बना मुद्रा लोन


छोटा अखबार।
रिज़र्व बैंक ने अब मुद्रा लोन को लेकर बैंकों के लिए चेतावनी जारी कर दी है। कई बैंकों से ऐसे क़र्ज़ वापस नहीं होने की ख़बरों के बाद रिज़र्व बैंक का ये निर्देश आया है कि ऐसे क़र्ज़ देते समय बैंकों को और सावधानी बरतना ज़रूरी है। 2015 में लॉन्च किए गए प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना के तहत छोटे व्यवसाय के लिए सस्ते लोन देने का कार्यक्रम चलाया गया। इससे छोटे और मंझोले उद्योगों को 50 हज़ार से 10 लाख रुपए तक के क़र्ज़ दिए जाते हैं। बैंकों के लिए ऐसे लोन अब सरदर्द बन गए हैं।



क्योंकि, सरकार ने संसद में बताया कि इस योजना के तहत अब तीन लाख दस करोड़ रुपए के लोन वापस नहीं किए गए हैं। रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर ने पिछले महीने कहा कि बैंकों को अपने ग्राहकों के क़र्ज़ वापस करने की क्षमता को बेहतर समझने की ज़रूरत है। क्या सरकारी बैंकों को रेवड़ी बांटने की इस पुरानी आदत ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है? लेकिन अर्थव्यवस्था की नाव को यहां से और डावाँडोल करने में मुद्रा लोन योजना का हाथ हो सकता है।


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