आयुक्त नीरज के पवन ने हद कर दी
कासटा पमा २०१५ ये बिल्कुल सोलह आने सही है कि प्रदेश में छोरे ने बड़े काम किये है जो माननीय न्यायालय में ऑन रिकार्ड है अनिल त्रिवेदी ____ आयुक्त ने मंजे हुए नेता या यूं कहे विभाग के मंत्री की तरह जयपुर। प्रदेश में राज्य सरकार मजबूत विपक्ष की गूगली पत्रकरों से आहवान किया कि कोई भी समस्या हो मुझ से संबंधित से बचने के लिये और अपने इकबाल को कायम करने के लिये या मुझ से बिना संबंधित वो मेरे पास आये और किसी की हर संभव प्रयास कर रही है। लेकिन सरकार के प्रचार प्रसार का व्यक्तिगत समस्या हो तो भी। पत्रकारों में चर्चाएं आम है कि अब जिम्मा संभाल रहे आयुक्त को ना तो सरकार के इकबाल की सूचना एवं जनसम्पर्क मंत्री कार्यालय टिप्पणी लिखेंगे या कुंआ परवाह और ना ही विपक्ष की गूगली कीखोदेगे आने वाले चुनावों के लिये। आयुक्त ने कहा की मैं अब जयपुर स्थापना दिवस के एक कार्यक्रम में पत्रकारों के बीच आ ही गया हूं सरकार ने पोस्टिंग कर ही दी है तो पूरी जिम्मेदारी सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के आयुक्त नीरज के पवन ऑन से भूमिका का निर्वहन ऐसे करूंगा कि आप सब को गर्व होरिकार्ड मंजे नेता की तरह गाल बजाते सूचना एवं जनसम्पर्क आयुक्त के नजर आये। उन्होने अपने आपको इस तरहगाल बजाने पर राजनीति और सरकार और मख्य मंत्री का खास होने प्रशासनिक गलियारों में चर्चाएं आम है का अहसास कराते हुए कहा कि कि गहलोत सरकार अपने बेटे और पत्रकारों की समस्या के समाधान के सहकारिता विभाग में अपने निजी हितों लिये सरकार मुझे यहां लाई है। मुझे को साधने के लिये इस तरह के लाने की वजह ये रही होगी कि ये छोरा अधिकारी को लाये है। चर्चाएं ये भी है बड़ा कुछ करके दिखा सकता है और कि सरकार का मानना होगा कि एसे पूरी जिम्मेदारी के साथ ऑन रिकार्ड अधिकारी का नाश का सवा सत्यानाश ये बात कह रहा हूं। ये बिल्कुल सोलह सही। वहीं दूसरी ओर पत्रकारों का आने सही है कि प्रदेश में छोरे ने बड़े पता कहना है कि यदि आयुक्त को पत्रकारों काम किये है जो माननीय न्यायालय में । और विभाग के हितो की इतनी चिंता है ऑन रिकार्ड है, तो सरकार को भी तो पहले जनसम्पर्क विभाग में बैठने का ध्यान होगा। सारी हदों को पार करते समय निर्धारित करे ताकि पत्रकारों की हुये आयुक्त ने शब्दो के संसार में अपने आपका स्वागत करते समस्या का निस्तारण और विभाग का माहौल सुधारा जा सकेहुए कहा कि मैं कलम के कबीले में आ गया हूं और जिस किसी जनसम्पर्क विभाग में आयुक्त के पीए रवि पारिक जैसे लोग वजह से सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग और पत्रकारों के बीच नियुक्ति के समय से करीब 18 से 20 वर्ष से एक ही जगह दूरीयां रही होगी वो तमाम दूरीयां, वो तमाम दिवारें ढंग से धवस्त नियुक्त है। कहावत है कि वर्षो से ठहरा पानी भी सड़ने लगता है। की जा चुकि हैं। आयुक्त के इस कथन पर पत्रकारों का कहना है विभागीय सूत्रों के अनुसार विभाग में इस तरह के लोगो ने माहौल कि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग और पत्रकारों के बीच कभी खराब कर रखा है। जिसके कारण अन्य लोगों को कार्य करने में कोई दूरीयां थी ही नहीं। दूरीयां और दिवार तो वसुन्धरा राजे परेशानी होती है। हलांकि आयुक्त ने पत्रकरों की समस्या के सरकार के साथ थी जो केवल पत्रकारों के लिये ही नही थी आम समाधान और अधिस्वीकृत प्रणाली को सरलीकरण कर सरल जन के लिये भी थी और वो जनता द्वारा धवस्त कर दी गई थी। बनाने का भरोसा दिलाया है उसके लिये वो साधूवाद के पात्र है।
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