आर्थिक अपराधों की राजधानी जयपुर

आर्थिक अपराधों की राजधानी जयपुर


छोटा अखबार।
बैंकों में हो रहे बड़े घपलों पर अख़बारों की नज़र बनी रही लेकिन छोटे घपले ने मानों सरकारी बैंकों की रीढ़ तोड़ दी।अब ऐसे घपले बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं हैं। 2017 में जारी हुए राष्ट्रीय आर्थिक अपराध ब्यूरो के आँकड़ों के मुताबिक़ आर्थिक अपराधों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। 2014 में प्रति दस लाख लोगों के बीच 110 अपराध दर्ज किए गए थे जो तीन साल बाद बढ़ कर 111.3 हो गए. इनमें एटीएम से जुड़े अपराध से लेकर जाली नोट और दूसरे अपराध भी शामिल हैं। देश के बड़े शहर जहां आर्थिक अपराध दर्ज किए जाते हैं, उनमें जयपुर का नाम अब सबसे ऊपर है।



आँकड़ों की मानें तो लखनऊ, बेंगलुरू, दिल्ली और हैदराबाद का नाम उसके बाद आता है। कानपुर, मुंबई, पुणे, नागपुर और ग़ाज़ियाबाद इस मामले में अगले पांच पायदान पर हैं। रिज़र्व बैंक के नए नियमों के अनुसार 50 करोड़ रुपए के ऊपर के सभी के मामलों की धोखाधड़ी के नज़रिए से भी जांच करना ज़रूरी हो गया है। ऐसे मामलों पर नज़र रखने के लिए 2015 में एक केंद्रीय धोखाधड़ी रजिस्ट्री भी बनाया गया है।


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